नई दिल्ली। नोटबंदी के कारण देश की अर्थव्यवस्था में चुस्ती आयी और जनकल्याण के लिए सरकारी बजट शत-प्रतिशत समाज के वंचितों -पीड़ितों तक पहुंचाना संभव हुआ। इसने देश में दीमक जैसी सक्रिय लगभग साढ़े तीन लाख सेल कम्पनियों पर ताला जड़वाने का काम किया और भ्रष्टाचार की भी नकेल कसी। यह देश को अर्थव्यवस्था की नकारात्मक सूची से हटाकर विश्व की पांचवीं अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में ले जाने का मार्ग था। इसपर लगभग आठ वर्षों के शोध के बाद आंकड़ों के आधार पर राजेश झा ने अत्यंत महत्वपूर्ण पुस्तक “नोटबदली से नोटबंदी : भारत के आर्थिक महाशक्ति बनाने की संकल्प यात्रा एवं उपलब्धियां” लिखी है।
नोटबंदी के तात्कालिक, लघुकालीन, मध्यकालीन और दीर्घकालीन प्रभावों का प्रामाणिक विवरण होने के कारण यह एक पठनीय तथा संग्रहणीय पुस्तक है जिसके लिए राजेश झा को बहुत सारी बधाइयाँ देते हुए मैं आशा करता हूँ कि यह पुस्तक पाठकों की पसंद का नया कीर्तिमान स्थापित करेगी । यह बात उक्त पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर राज्यसभा के उप-सभापति एवं स्वनामधन्य पत्रकार तथा लेखक हरिवंश नारायण सिंह ने कही। इस पुस्तक का लोकार्पण प्रधानमन्त्री संग्रहालय पुस्तकालय सभागृह में शनिवार की देर शाम को हुआ।
जस्टिस शम्भूनाथ श्रीवास्तव ने मुंबई के वाणिज्यिक पत्रकार राजेश झा को देश के उदीयमान “आर्थिक इतिहासकार” के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि जब देश में अनियंत्रित सोशल मीडिया पर अनर्गल नेरेटिव्स चल रहे हैं आपने इस पुस्तक के रूप में आवश्यक दस्तवेज प्रस्तुत किया है। सामाजिक -आर्थिक न्याय का द्रुतगति मार्ग नोटबंदी से प्रस्फुटित हुआ और इससे आतंकवाद पर नकेल भी लगी।
विशिष्ट अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल एएस रावत ने नोटबंदी का भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर प्रभाव का बेवाकी से उल्लेख करने के लिए राजेश झा को साधुवाद दिया और कहा कि विभिन्न उद्योग -व्यवसाय पर नोटबंदी के प्रभावों का सांखिकीय प्रस्तुति उनकी लिखी पुस्तक “ नोटबदली से नोटबंदी : भारत के आर्थिक महाशक्ति बनाने की संकल्प यात्रा एवं उपलब्धियां” एक सन्दर्भ ग्रन्थ की तरह है जिसके बल पर देश की अर्थव्यवस्था का अध्ययन भविष्य में भी किया जा सकेगा।
विख्यात अर्थशास्त्री तथा स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह संयोजक डॉ अश्विनी महाजन ने राजेश झा द्वारा लिखित पुस्तक “ नोटबदली से नोटबंदी :भारत के आर्थिक महाशक्ति बनाने की संकल्प यात्रा एवं उपलब्धियां” में देश के संचालकों की बेइमानियाँ उजागर करने तथा देश की अर्थव्यवस्था को तबाह करने में लगे नेताओं और नौकरशाहों का उल्लेख करने को साहसपूर्ण कदम बताया और प्रकाश डाला कि कैसे नोटबंदी का साहसपूर्ण निर्णय देश की आर्थिक और सामरिक स्थितियों में सकारात्मक बदलाव का कारक बना है।
विख्यात शिक्षा शास्त्री डॉ जे एस राजपूत ने “ नोटबदली से नोटबंदी : भारत के आर्थिक महाशक्ति बनाने की संकल्प यात्रा एवं उपलब्धियां” को एक महत्वपूर्ण पुस्तक के रूप में निरुपित करते हुए कहा कि समसामयिक आर्थिक विषयों पर हिन्दी में मौलिक पुस्तकें बहुत ही कम हैं। राजेश झा ने शोधपूर्ण मौलिक लेखन से नयी आशा का संचार किया है।
इससे पूर्व पत्रकार राजेश झा ने अपनी पुस्तक का परिचय कराते हुए कहा कि यह बात बहुत प्रचारित की जाती है कि लगभग 99% करेंसी नोट बैंकों में वापस आए इसलिए नोटबंदी मोदी सरकार का अनावश्यक कदम था लेकिन ऐसा कहनेवाले इस बात को छिपाते हैं कि एक ही नंबर के तीन -चार करेंसी नोट चलन में थे अर्थात 400 प्रतिशत करेंसी नोट में से 99 % करेंसी नोट बैंकों में लौटे यानी 301% जाली नोटों से भारतीय अर्थव्यवस्था को मुक्ति मिली।
मुंबई में वर्ष 1997 से वाणिज्यिक पत्रकारिता कर रहे राजेश ने बताया कि जिनपर देश की अर्थव्यवस्था चलाने का दायित्व था वे ही दीमक की तरह अर्थव्यवस्था को चट कर रहे थे और इसका प्रमाण रिजर्व बैंक के गोदामों में भी हजारों करोड़ रुपये के जाली नोटों का पाया जाना है। मोदी सरकार ने एक साहसी कदम उठाया और देश को बचा लिया अन्यथा आज हम भी पांच किलो ग्राम आटा के लिए कोहराम मचा रहा देश बन चुके होते।
इससे पूर्व स्वागत भाषण करते हुए राजेश झा ने अपनी प्रकाशन संस्था आरजेपी का ध्येय स्थापित करने के लिए कार्यकर्म का आरम्भ वैदिक मंत्रोच्चार से किये जाने तथा आजाद हिन्द फ़ौज में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अनन्य सहयोगी 102 वर्षीय आर माधवन पिल्लई का सम्मान करने का विशेष कार्य आयोजन प्रवाह में सम्मिलित करने का काम किया जिसके प्रत्युत्तर में श्री पिल्लई ने राजेश झा द्वारा हजारीबाग में उनके हाथों से शहीद संदीप पाल की मूर्ति का अनावरण करवाए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि राष्ट्रवादी विचारों से पगे राजेश झा बीते चार वर्षों से उनके पुत्रवत हैं इसलिए उनकी इच्छा का मान रखना आवश्यक है, मैं उनको आशीर्वाद देने आया हूँ उन्हौने प्रसिद्द गीत “कदम -कदम मिलाए जा” भी गाकर सुनाया।
उन्हौने कहा कि आरजेपी प्रखर राष्ट्रवाद को स्थापित करनेवाली जरुरी पुस्तकों का ही प्रकाशन करेगा। उनकी पार्टनर प्रकाशक राशी जोशी ने सभी अतिथियों को एक -एक पुस्तक तथा अन्य उपहार प्रदान किये ।
इस पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में भारत सरकार में सचिव स्तर के तीन ब्यूरोक्रेट्स, नीति आयोग के दो डायरेक्टर, इन्डियन इकोनोमिक्स एसोसिएशन के 25 प्रोफेसर्स और सर्वोच्च न्यायालय के 43 अधिवक्ताओं के साथ-साथ चेन्नई, हैदराबाद, जम्मू-कश्मीर, जामिया मिलिया, दिल्ली तथा जवाहरलाल नेहरु विश्व विद्यालयों के 218 स्नातकोत्तर और रिसर्च स्कोलर्स ने भाग लिया।