डीटीसी बसों और डिपो में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ी, कहीं कोरोना का वाहक न बन जाए बसें


लाॅकडाउन-4 में केजरीवाल सरकार ने दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की बसों को चलाने का फैसला तो ले लिया, लेकिन इन बसों में सोशल डिस्टेंसिंग, सेनेटाइजेशन और थर्मल स्कैनिंग की व्यवस्था कराने में असहाय साबित हो रही है। गुरुवार को दिन भर डीटीसी और क्लस्टर की बसें सरकार की व्यवस्था की कलई खोलती रही और कोरोना महामारी की इस घड़ी में डीटीसी महकमे पर सवाल उठते रहे।



नई दिल्ली। लाॅकडाउन-4 में केजरीवाल सरकार ने दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की बसों को चलाने का फैसला तो ले लिया, लेकिन इन बसों में सोशल डिस्टेंसिंग, सेनेटाइजेशन और थर्मल स्कैनिंग की व्यवस्था कराने में असहाय साबित हो रही है। गुरुवार को दिन भर डीटीसी और क्लस्टर की बसें सरकार की व्यवस्था की कलई खोलती रही और कोरोना महामारी की इस घड़ी में डीटीसी महकमे पर सवाल उठते रहे।

लाॅकडाउन-4  की घोषणा के दिन मुख्यमंत्री केजरीवाल का कहना था कि  डीटीसी व क्लस्टर बसों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जाएगा। इसके लिए बसों में मार्शल तैनात रहेंगे। पर आज बसों में न सोशल डिस्टेंसिंग दिखी  न ही मार्शलों की मुस्तैद तैनाती। इस पर डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि डीटीसी और क्लस्टर के अधिकतर बसों में मार्शल नहीं हैं।

मार्शल नदारद

उनका कहना है कि मार्शलों को ही टेंपरेचर चेक करने और बसों में लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने की जिम्मेदारी भी दिया गया है। इस कारण पूरे दिन यह काम ठीक ढंग से नहीं हो पाया। केजरीवाल सरकार साफ ढकोसला कर रही है। सरकार की तरफ से सभी बसों में मार्शलों का इंतजाम है ही नहीं। इसके सबूत के तौर पर 410, 427, 214 या 894 नंबर क्लस्टर बसों को चेक कर सकते हैं।

डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन का कहना है कि दिल्ली होमगार्ड के जवानों को बसों में सेनेटाइजेशन के काम पर लगाया गया है। आज सुबह करीब 9 बजे का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें साफ दिख रहा है कि इन जवानों ने चेहरे को ढका नहीं है और हाथों में ग्लब्स नहीं है। ऐसी सूचनाएं कई जगह से आ रही हैं। यूनियन की ओर से बताया गया कि यह विडियो निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन डिपो का है।
वहीं यूनियन के महामंत्री ललित चौधरी ने कहा कि प्रशासन को इस पर भरपूर ध्यान देना चाहिए। मुझे लग रहा है, इन जवानों को इस केमिकल के प्रयोग संबंधी किसी तरह के दिशा-निर्देश और तौर-तरीकों से अवगत नहीं कराया गया है। इसलिए इनकी तैनाती भर होने से सेनेटाइजेशन का काम अच्छे से नहीं होगा। जो बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकता है। जबकि बसों में सेनेटाइजेशन बहुत अच्छे ढंग से और समय-समय पर होते रहना चाहिए।

डीटीसी के अधिकारी इंतजाम बनाने के नाम पर आंख मूंदकर बैठे हैं : यूनियन के अध्यक्ष मनोज शर्मा का कहना है, सुबह से ही डिपों के कंट्रोल रूम के बाहर भीड़-भाड़ का वीडियो आ रहा है। इसको देखकर यही लगता है कि डीटीसी के ड्राइवर और कंडक्टर ही सवारियों को कोरोना वायरस फैलाने वाले साबित होंगे। जबकि डिपो के मैनेजर और डीटीसी के अधिकारी इंतजाम बनाने के नाम पर आंख मूंदकर बैठे हैं। ऐसे नजारे वजीरपुर डिपो, आइपी डिपो, कालकाजी डिपो, सुनहरी नाला डिपो, सुभाष पैलेस डिपो, दिचाऊं डिपो आदि में देखने को मिल रहे हैं। यहां कैश जमा करने और ड्यूटी पर आने-जाने के दौरान भीड़ जुट रही है। जहां सोशल डास्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है। उनका कहना है कि पिछले दो दिनों में दिल्ली सरकार और डीटीसी के सारे इंतजाम दिख रहे हैं। अगर इस महामारी में नहीं चेता गया तो डीटीसी सेवा कोरोना फैलाने की सार्वजनिक सेवा बन जाएगी।

डीटीसी बसों में 20 लोगों की अनुमति
दिल्ली सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, बसों में 20 लोग ही यात्रा कर सकते हैं। यात्रियों के लिए थर्मल स्कैनिंग की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही बसों को सेनेटाइजेशन करने का इंतजाम करना है।