देश में सोशल मीडिया के जरिए आतंकवाद और कट्टरता फैलाने का प्रयास हो रहा है: गृह मंत्रालय


 केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि देश में सोशल मीडिया के जरिए आतंकवाद फैलने का खतरा फिलहाल बहुत ज्यादा है, जो भारत की एकता और अखंडता के लिए बड़ा खतरा है। गृह मंत्रालय ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि सोशल मीडिया के जरिए विदेशों से भारत में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसमें कट्टरता प्रमुख है।


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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि देश में सोशल मीडिया के जरिए आतंकवाद फैलने का खतरा फिलहाल बहुत ज्यादा है, जो भारत की एकता और अखंडता के लिए बड़ा खतरा है। गृह मंत्रालय ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि सोशल मीडिया के जरिए विदेशों से भारत में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसमें कट्टरता प्रमुख है।

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में कहा कि साइबर स्पेस, वर्चुअल और सीमा रहित होता है तथा यह पूर्ण रूप से अज्ञात होता है। साइबर स्पेस तुरंत सम्प्रेषण और अज्ञातता की संभावना के साथ-साथ सीमा रहित होने के कारण इसमें सोशल मीडिया के उपयोग के माध्यम से आतंक फैलाने की क्षमता पहले से काफी अधिक है, जो देश की संप्रभुता और अखंडता के लिए एक खतरा उत्पन्न करती हैं।

गृह राज्यमंत्री ने अपने लिखित बयान में कहा कि भारत में आतंकवाद की समस्या मुख्यत: सीमापार से प्रायोजित किया जाता है। वैश्विक आतंकवादी संगठन और भारत विरोधी कुछ विदेशी एजेंसियां सोशल मीडिया प्लेटफार्म, इंटरनेट आदि का प्रयोग करके लोगों को कट्टर बनाने और आतंकवाद फैलाने का प्रयास करती रहती हैं। उन्होंने बताया कि विधि प्रवर्तन एजेंसियां सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर होने वाली गतिविधियों पर गहन निगरानी रखती हैं और विधिक प्रावधानों के अनुसार उपयुक्त कार्रवाई करती हैं।

इसके अलावा भारत की संप्रभुता एवं अखंडता, भारत की रक्षा राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों अथवा लोक व्यवस्था के हित में अथवा उपरोक्त से संबंधित किसी सं™ोय अपराध के लिए किसी प्रलोभन को रोकने के लिए सरकार सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69क के तहत सोशल मीडिया अकाउंट समेत विधिविरुद्ध और द्वेषपूर्ण ऑनलाइन सामग्री को ब्लॉक करती है। वहीं साइबर आतंकवाद से जुड़े अपराधों की प्रभावकारी एवं त्वरित जांच और अभियोजन के लिए वर्ष 2019 में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) अधिनियम, 2008 में संशोधन करके सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66च को इसकी अनुसूची में जोड़ा गया है।

केंद्र सरकार की तरफ से यह बयान उस वक्त आया है, जब एक दिन पहले ही सोमवार को सरकार ने पाकिस्तान स्थित एक ओटीटी प्लेटफार्म की वेबसाइट, एप और सोशल मीडिया अकॉउंट को ये कहते हुए बैन कर दिया था कि इस पर दिखाई जा रही एक वेब सीरीज भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता को नुकसान पहुंचा सकती है।