राज्यसभा के आठ सदस्य निलंबित, हंगामे के कारण कामकाज बाधित, धरने पर बैठे राज्यसभा सदस्य


निलंबित किए गए सदस्यों में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और डोला सेन, कांगेस के राजीव सातव, सैयद नजीर हुसैन और रिपुन बोरा, आप के संजय सिंह, माकपा के केके रागेश और इलामारम करीम शामिल हैं।


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नई दिल्ली। राज्यसभा में रविवार को हुए हंगामे की गूंज सोमवार को भी सुनाई पड़ी और विपक्ष के आठ सदस्यों को सत्र के शेष समय के लिए निलंबित कर दिया गया। निलंबित सदस्यों के सदन से बाहर नहीं जाने और सदन में हंगामा जारी रहने के कारण सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित हुयी तथा चार बार के स्थगन के बाद अंतत: पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी।

इसके साथ ही राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने उपसभापति हरिवंश के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया और कहा कि यह उचित प्रारूप में नहीं था।

सदन में शून्यकाल समाप्त होने के बाद नायडू ने कहा कि एक दिन पहले उच्च सदन में कुछ विपक्षी सदस्यों का आचरण दुखद, अस्वीकार्य और निंदनीय है।

नायडू ने रविवार को हुए हंगामे का जिक्र करते हुए कहा कि सदस्यों ने कोविड-19 संबंधी सामाजिक दूरी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया। इसके अलावा उन्होंने उपसभापति हरिवंश के साथ बदसलूकी की। माइक उखाड़े गए और नियमों की पुस्तिका फेंकी गयी। उनके साथ अमर्यादित आचरण किया गया।

नायडू ने इस दौरान तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन के ‘नाम का उल्लेख’’ करते हुए उन्हें सदन से बाहर जाने को कहा। हालांकि, ब्रायन सदन में ही रहे। उल्लेखनीय है आसन द्वारा किसी सदस्य का नाम उल्लेख किए जाने पर उन्हें सदन से बाहर जाना होता है।

नायडू ने कहा कि कल की घटना संसद खासकर राज्यसभा की प्रतिष्ठा को भी धूमिल करने वाली थी।

उन्होंने उपसभापति के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें नेता प्रतिपक्ष और 46 सदस्यों का एक पत्र मिला है जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि रविवार को कृषि संबंधी दो विधेयकों को पारित किए जाने के दौरान संसदीय प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया।

नायडू ने कहा कि उन्होंने कल की कार्यवाही पर गौर किया कि रिकार्ड के अनुसार उपसभापति पर लगाए गए आरोप सही नहीं हैं और उपसभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से बार-बार अपनी सीट पर जाने और अपने संशोधन प्रस्ताव पेश करने को कहा था।

सभापति ने कहा कि प्रस्ताव निर्धारित प्रारूप में भी नहीं है और इसके लिए जरूरी 14 दिनों के नोटिस का भी पालन नहीं किया गया है।

इसके बाद संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कल के हंगामे में असंसदीय आचरण को लेकर विपक्ष के आठ सदस्यों को सत्र के शेष समय के लिए निलंबित किए जाने का प्रस्ताव पेश किया। इसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी।

निलंबित किए गए सदस्यों में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और डोला सेन, कांगेस के राजीव सातव, सैयद नजीर हुसैन और रिपुन बोरा, आप के संजय सिंह, माकपा के केके रागेश और इलामारम करीम शामिल हैं।

सभापतिे ने निलंबित किए गए सदस्यों को बार बार सदन से बाहर जाने को कहा। लेकिन सदस्य सदन से बाहर नहीं गए और सदन में हंगामा जारी रहा।

हंगमे के कारण सदन की कार्यवाही बार बार बाधित हुयी। आसन ने कई बार निलंबित सदस्यों को सदन से बाहर जाने को कहा ताकि सदन में सुचारू रूप से कामकाज हो सके तथा नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद को अपनी बात कहने का मौका मिल सके। लेकिन इन अपील का कोई असर नहीं हुआ और सदन की कार्यवाही चार बार के स्थगन के बाद 12 बजकर करीब पांच मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी।