Explained: पेगासस जासूसी के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा? जानिए पूरा मामला

Satish Yadav Satish Yadav
देश Updated On :

नई दिल्ली: पेगासस सॉफ्टवेयर से भारत की प्रमुख हस्तियों के कथित जासूसी की स्वतंत्र जांच की मांग की जाने वाली याचिका पर देश की शीर्ष अदालत ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने आज इस मामले पर केंद्र सरकार को झटका देते हुए कहा कि पेगासस केस की जांच होगी, कोर्ट ने जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी का गठन भी कर दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार पर निशाने साधते हुए निजता के उल्लंघन, राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे का भी जिक्र किया है। आइए जानते सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले पर क्या कहा, इसके साथ हम यह भी समझेगें कि आखिर यह पुरा मामला क्या है?

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

इस मामले पर सीजेआई ने फैसला देते हुए कहा कि आरोपों में तकनीक के दुरूपयोग को लेकर अदालत इस मामले में सभी मूल अधिकारों का संरक्षण करेगी। उन्होंने कहा कि आरोपों में तकनीक के दुरूपयोग को लेकर अदालत इस मामले में सभी मूल अधिकारों का संरक्षण करेगी।

जिन लोगों के निजता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है। उसका ध्यान रखते हुए अदालत का मानना है कि तकनीक सुविधा के साथ नुकसान का साधन बन सकती है। जिससे निजता का उल्लंघन हो सकता है और अन्य मूल अधिकार प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में जीवन और स्वतंत्रता के मद्देनजर निजता के अधिकार का ध्यान रखने के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा को भी ध्यान में रखेगी।

इस मामले पर चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता और प्रेस कि स्वतंत्रता लोकतंत्र में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। कोर्ट ने कहा, कि केंद्र सरकार केंद्र को बार-बार मौके देने के बावजूद उन्होंने सीमित हलफनामा दिया जो स्पष्ट नहीं था। अगर उन्होंने स्पष्ट किया होता तो हम पर बोझ कम होता। कोर्ट ने केंद्र को कटघरे में खड़ा किया और कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को उठाकर सरकार को हर बार फ्री पास नहीं मिल सकता।

कोर्ट ने कहा, न्यूज पेपर पर आधारित रिपोर्ट के आधार पर दायर की गई याचिकाओं से पहले हम संतुष्ट नहीं थे, लेकिन फिर बहस आगे बढ़ी। सॉलिसिटर जनरल ने ऐसी याचिकाओं को तथ्यों से परे और गलत मानसिकता से प्रेरित बताया था। परंतु मुख्य न्यायधीश एनवी रमना ने कहा, केंद्र द्वारा कोई विशेष खंडन नहीं किया गया है। इस प्रकार हमारे पास याचिकाकर्ता की दलीलों को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है और इस प्रकार हम एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त करते हैं जिसका कार्य सर्वोच्च न्यायालय द्वारा देखा जाएगा।

तीन सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी का गठन

सुप्रीम कोर्ट इसके जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी का गठन कर दिया है। इसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आरवी रवींद्रन करेंगे। इसके अलावा पूर्व आईपीएस अधिकारी आलोक जोशी और डॉ. संदीप ओबेरॉय(तकनीकी विशेषज्ञ) कमेटी के अन्य सदस्य होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी को आरोपों की पूरी तरह से जांच करने और अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया है।

पेगासस का पूरा मामला क्या है?

इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस सॉफ्टवेयर से भारत में कथित तौर पर 300 से ज्यादा हस्तियों के फोन टैप किए जाने का मामला तब सामने आया था, जब  इस साल जुलाई में संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत होने ही वाला था। इस खुलासे मे दावा किया गया था कि पेगासस स्पाइवेयर के माध्यम से जिन लोगों के फोन टैप किए गए उनमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद सिंह पटेल, पूर्व निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर सहित कई पत्रकार भी शामिल हैं।

हालांकि, सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था और रिपोर्ट जारी होने की टाइमिंग को लेकर सवाल खड़े किए थे। इस पूरे मामले पर सरकार ने संसद में कहा था कि ” एक वेब पोर्टल पर बेहद सनसनीखेज़ स्‍टोरी चली, इस स्टोरी में बड़े-बड़े आरोप लगाए गए। मॉनसून सत्र से एक दिन पहले प्रेस रिपोर्टों का आना संयोग नहीं हो सकता है। ये भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने की साज़िश है।

उन्होंने साफ़ किया कि इस जासूसी कांड से सरकार का कोई लेना-देना नहीं। डेटा से ये साबित नहीं होता कि सर्विलांस हुआ है। सर्विलांस को लेकर सरकार का प्रोटोकॉल बेहद सख़्त है, क़ानूनी इंटरसेप्शन के लिए भारतीय टेलीग्राफ़ एक्ट और आईटी एक्ट के तय प्रावधानों के अंतर्गत ये किया जा सकता है।”

किसने खुलासा किया था

इस मामले पर खुलासा पेरिस स्थित गैर-लाभकारी मीडिया संगठन ‘फॉरबिडन स्टोरीज’ और अधिकार समूह एमनेस्टी की ओर से की गई इंवेस्टिगेटिव रिपोर्ट को भारत में ‘द वायर’ न्यूज पोर्टल और ‘वाशिंगटन पोस्ट’, ‘द गार्जियन’ और ‘ले मोंडे’ सहित करीब 17 अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों ने मीडिया पार्टनर के रूप में प्रकाशित किया था।

रिपोर्ट में कहा गया है इजरायली निगरानी कंपनी एनएसओ समूह के पेगासस सॉफ्टवेयर के माध्यम से दुनियाभर से 50,000 से अधिक फोन नंबरों को निशाना बनाने के लिए सूचीबद्ध किया गया था। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इनमें से 67 फोन की फॉरेन्सिक जांच की। इस दौरान 23 फोन हैक मिले, जबकि 14 अन्य में सेंधमारी की कोशिश की पुष्टि हुई। भारत के लिए सामाचार वेबसाइट‘द वायर’ ने खुलासा किया कि भारत में भी 10 फोन की फॉरेन्सिक जांच करवाई गई। ये सभी या तो हैक हुए थे, या फिर इनकी हैकिंग का प्रयास किया गया था।

पेगासस सॉफ्टवेयर किस प्रकार से काम करता है?

पेगासस किस प्रकार से काम करता है, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पेगासस संबंधित फोन पर आने-जाने वाले हर कॉल का ब्योरा जुटाने में सक्षम है। यह फोन में मौजूद मीडिया फाइल और दस्तावेजों के अलावा उस पर आने-जाने वाले एसएमएस, ईमेल और सोशल मीडिया मैसेज की भी जानकारी दे सकता है। पेगासस सॉफ्टवेयर को जासूसी के क्षेत्र में अचूक माना जाता है।

तकनीक जानकारों का दावा है कि इससे व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे एप भी सुरक्षित नहीं। क्योंकि यह फोन में मौजूद एंड टू एंड एंक्रिप्टेड चैट को भी पढ़ सकता है। पेगासस एक स्पाइवेयर (जासूसी साफ्टवेयर) है, जिसे इसराइली साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ग्रुप टेक्नॉलॉजीज़ ने बनाया है। इसका दूसरा नाम क्यू-सुईट भी है। ये एक ऐसा प्रोग्राम है, जिसे अगर किसी स्मार्टफ़ोन फ़ोन में डाल दिया जाए, तो कोई हैकर उस स्मार्टफोन के माइक्रोफ़ोन, कैमरा, ऑडियो और टेक्सट मैसेज, ईमेल और लोकेशन तक की जानकारी हासिल कर सकता है।

कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस ने क्या कहा?

कोर्ट के इस फैसले को कांग्रेस ने स्वागत करते हुए कहा कि इसने राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर बचने और ध्यान भटकाने की सरकार की तथाकथित कोशिशों को नकार दिया है। ट्विटर पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने लिखा, “डरपोक फासीवादियों के लिए सब जगह छद्मराष्ट्रवाद अंतिम पनाहगाह होता है।”

“राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर बचने और ध्यान भटकाने की सरकार की कोशिश के बीचपेगासस स्पाइवेयर के दुरुपयोग की जांच के लिए विशेष समिति के गठन के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत है। सत्यमेव जयते।”