प्रत्यक्षदर्शी की जुबानी कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान वुहान की हालत बयां करती किताब भारत में उपलब्ध


वुहान में 25 जनवरी को लॉकडाउन लगाए जाने के बाद फांग-फांग ने ऑनलाइन डायरी लिखनी शुरू की थी। प्रकाशक ने एक बयान में कहा कि फांग फांग ने अपनी पोस्ट में अपने लाखों साथी नागरिकों के भय, हताशा, नाराजगी और उम्मीद को आवाज देकर पृथक-वास के मनोवैज्ञानिक प्रभाव को बताया है।



नई दिल्ली। विश्वभर में लाखों लोगों की जान ले चुके कोविड-19 संक्रमण के चीन के वुहान में फैलने के दौरान वहां पैदा हुए हालात को एक प्रत्यक्षदर्शी की जुबानी बयान करती ई-किताब अब भारत में उपलब्ध है।

प्रकाशक ‘हार्पर कॉलिन्स’ ने इस संबंध में घोषणा की। ‘वुहान डायरी: डिस्पैचिस फ्रॉम ए क्वारंटीन्ड सिटी’ पुस्तक में चीनी साहित्यकार फांग फांग की ऑनलाइन डायरी के अंशों और सोशल मीडिया पोस्ट को संकलित किया गया है। इंटरनेट पर उपलब्ध इस किताब में कोविड-19 संक्रमण के दौरान लॉकडाउन के समय रोजाना आने वाली चुनौतियों और विश्वसनीय सूचना के बिना पृथक-वास में रहने के दौरान बदलते मिजाजों और भावनाओं के उतार-चढ़ाव को दिखाया गया है।

वुहान में 25 जनवरी को लॉकडाउन लगाए जाने के बाद फांग-फांग ने ऑनलाइन डायरी लिखनी शुरू की थी। प्रकाशक ने एक बयान में कहा कि फांग फांग ने अपनी पोस्ट में अपने लाखों साथी नागरिकों के भय, हताशा, नाराजगी और उम्मीद को आवाज देकर पृथक-वास के मनोवैज्ञानिक प्रभाव को बताया है।
उसने बताया कि इस किताब में इंटनेट के समुदाय की जीवनरेखा बनने और गलत सूचना का जरिया होने की बात कही गई है। माइकल बेरी ने इस पुस्तक का अनुवाद किया है। इस किताब में लेखक ने सामाजिक अन्याय और सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ आवाज उठाई है, जिसने इस महामारी से निपटने में बाधा उत्पन्न की।
प्रकाशक ने कहा, फांग फांग ने परिचय के अंत में लिखा है: ‘यह वायरस मानवता का साझा शत्रु है, यह पूरी मानवता के लिए सबक है। इस वायरस से जीतने और स्वयं को इसकी गिरफ्त से आजाद कराने का एक मात्र जरिया यह है कि सभी मनुष्य मिलकर इस दिशा में काम करें। इस किताब का अनुवाद 15 भाषाओं में किया जाएगा।

प्रकाशक ‘हार्पर कॉलिन्स’ ने इस संबंध में घोषणा की। ‘वुहान डायरी: डिस्पैचिस फ्रॉम ए क्वारंटीन्ड सिटी’ पुस्तक में चीनी साहित्यकार फांग फांग की ऑनलाइन डायरी के अंशों और सोशल मीडिया पोस्ट को संकलित किया गया है। इंटरनेट पर उपलब्ध इस किताब में कोविड-19 संक्रमण के दौरान लॉकडाउन के समय रोजाना आने वाली चुनौतियों और विश्वसनीय सूचना के बिना पृथक-वास में रहने के दौरान बदलते मिजाजों और भावनाओं के उतार-चढ़ाव को दिखाया गया है।



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