पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध छऊ नर्तक धनंजय महतो का 85 वर्ष की आयु में निधन

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कोलकाता। पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में मशहूर छऊ नर्तक धनंजय महतो का हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया। उनके परिवार के सदस्यों ने सोमवार को यह जानकारी दी। वह 85 वर्ष के थे। उन्होंने कहा कि महतो पुरुलिया जिले के सदियों पुराने इस लोकनृत्य को दुनिया के सामने लाने के लिए जाने जाते हैं। उनका रविवार शाम को अपने गांव बेलगारा में निधन हो गया।

उनके परिवार में उनकी पत्नी और पुत्र हैं। उनका बेटा भी छऊ नर्तक है। धुंदा महतो के रूप में लोकप्रिय, धनंजय ने आक्रामकता, आत्मसमर्पण, खुशी और दुःख जैसे विभिन्न भावों को मिलाकर छऊ नृत्य को एक समृद्ध और अनोखे नृत्य के रुप में स्थापित किया। महतो को अपने पिता पीलाराम महतो से छऊ नृत्य का शौक विरासत में मिला। उन्होंने 13 वर्ष की उम्र में स्कूल छोड़ दिया और छऊ का अभ्यास शुरु कर दिया।

महतो ने अपने सात दशक लंबे करियर के दौरान संगीत वाद्ययंत्र धम्सा और शहनाई के साथ छऊ नृत्य किया। उनका मानना ​​था कि सिंथेसाइज़र जैसे उपकरणों का उपयोग करने से उनकी नृत्य कला कमजोर लगेगी। महतो को आदिवासी लोक संस्कृति विकास परिषद, पश्चिम बंगाल पशु चिकित्सा संघ और मानभूम दलित साहित्य ओ संस्कृति अकादमी से पुरस्कार मिला था। हालांकि, छऊ नृत्य के क्षेत्र में इतना बड़ा नाम होने के बावजूद उन्हें पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकारों से कोई विशेष मान्यता नहीं मिली थी।