नई दिल्ली। एक महीना बीत गया। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हजारों किसान कड़ाके की सर्दी के बावजूद अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।
किसान एक महीने से अधिक समय पहले सिंघू बॉर्डर पहुंचे थे। प्रदर्शन कर रहे किसानों के संगठनों ने शनिवार को केंद्र सरकार के साथ बातचीत फिर शुरू करने का फैसला किया था और अगले चरण की बातचीत के लिए 29 दिसंबर की तारीख का प्रस्ताव दिया है।
किसान संगठनों ने यह भी निर्णय लिया था कि 30 दिसंबर को कुंडली-मानेसर-पलवल राजमार्ग पर ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा।
दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी है और सिंघू, गाजीपुर एवं टीकरी बॉर्डर पर सैकड़ों सुरक्षा कर्मी तैनात हैं। इन्हीं सीमाओं पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन की वजह से यातायात प्रभावित हुआ है जिस वजह से पुलिस को गाड़ियों के मार्ग में परिवर्तन करना पड़ा है।
दिल्ली यातायात पुलिस ने रविवार को ट्विटर पर लोगों को उन मार्गों के बारे में जानकारी दी है, जो आंदोलन की वजह से बंद किए गए हैं और उन्हें वैकल्पिक रास्तों के बारे में बताया।
पुलिस ने ट्वीट किया, “ किसानों के प्रदर्शन की वजह से नोएडा और गाजियाबाद से दिल्ली आने वाले यातायात के लिए चिल्ला और गाजीपुर बॉर्डर बंद हैं। लोगों को सलाह दी जाती है कि वे दिल्ली आने के लिए आनंद विहार, डीएनडी, अपसरा, भोपरा और लोनी बॉर्डर का इस्तेमाल करें।“
उसने कहा, “सिंघू, औचंदी, प्याऊ मनियारी, सबोली और मंगेश बॉर्डर बंद हैं। कृपया लमपुर सफियाबाद, पल्ला एवं सिंघू स्कूल टोल टैक्स बॉर्डर वाले वैकल्पिक मार्गों का इस्तेमाल करें। मुबारका और जीटीके रोड से यातायात का मार्ग बदला गया है। कृपया आउटर रिंग रोड, जीटीके रोड और राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर जाने से बचें।’’
सरकार प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत तो करती है लेकिन कोई समाधान नहीं निकल रहा है। समाधान निकले भी कैसे, सरकार की नजर में तो किसान गुमराह हैं और नए कृषि कानून से किसानों का भाग्य बदलने जा रहा है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि नये कृषि कानूनों पर किसानों को गुमराह करने के प्रयास सफल नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि नये कृषि कानून किसानों की आय बढ़ाएंगे, लेकिन कांग्रेस उन्हें (किसानों को) गुमराह कर रही है।
सिंह ने डिजिटल माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जब कभी कभी सुधार लागू किए जाते हैं, तब इसके सकारत्मक परिणाम दिखने शुरू होने में कुछ साल लग जाते हैं।
उन्होंने कहा कि चाहे वह तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा लाए गये 1991 के आर्थिक सुधार हों या फिर वापजेयी सरकार के दौरान लाए गए अन्य सुधार हों, उनके सकारात्मक परिणाम दिखने में चार-पांच साल लग गए।
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘इसी तरह, नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा किए गए कृषि सुधारों के सकारात्मक परिणामों को देखने के लिए यदि हम चार-पांच साल इंतजार नहीं कर सकते हैं, तो हम कम से कम दो साल तो इंतजार कर ही सकते हैं। ’’
नये कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान करीब एक महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं।