नई दिल्ली। केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ ट्रैक्टर परेड के तहत किसान मंगलवार को ‘रंग दे बसंती’ और ‘जय जवान जय किसान’ के नारे लगाते हुए राष्ट्रीय राजधानी की सीमा में दाखिल होने के लिए ट्रैक्टर, बाइक, घोड़ों और क्रेन पर सवार होकर निकले। ढोल-ताशे के शोर के बीच सड़क के दोनों किनारे विभिन्न स्थानों पर खड़े लोगों ने किसानों पर फूल बरसाए। वाहनों पर झंडों के साथ खड़े प्रदर्शनकारी ‘ऐसा देश है मेरा’ जैसे देशभक्ति गीतों की धुन पर नाचते नजर आए।
परेड में घोड़े पर सवार होकर शामिल हुए प्रदर्शनकारी गगन सिंह ने कहा, लोग सोचते हैं कि किसान केवल खेत में काम करता है, लेकिन किसानों की जिंदगी में बहुत कुछ है। हम मोटर साइकिल भी चलाते हैं और घुड़सवारी भी करते हैं लेकिन पूजा अपने ट्रैक्टरों की ही करते हैं जिनसे हमारी रोजीरोटी चलती है।
उन्होंने कहा, आज सब कुछ इस ऐतिहासिक रैली में प्रदर्शित किया जाएगा। ट्रैक्टर चला रही 40-50 वर्षीय परमजीत बीबी ने कहा, महिलाएं केवल सामुदायिक रसोईघर में खाना बनाने के लिए नहीं हैं। हम पुरुषों की खेत में मदद करते हैं और मजबूत संदेश देने के लिए इस रैली में ट्रैक्टर चला रही हैं।
हरियाणा के यमुनानगर के रहने वाले किसान आदित्य पजेट्टा सिंघू बॉर्डर से मार्च के दौरान कंधे पर 15 किलोग्राम वजनी हल लेकर चल रहे हैं। उन्होंने कहा, हम इस हल को बचाने के लिए लड़ रहे हैं। हम पीढि़यों से खेती करते आ रहे हैं और यह शर्मनाक होगा अगर उनकी विरासत नहीं बचाई गई।
रैली में शमिल क्रेन के सबसे ऊपर अस्थायी मंच बनाया गया जबकि उसके अगले हिस्से में लोगों के बैठने के लिए गद्दे बिछाए गए हैं। निर्धारित समय से बहुत पहले ही सिंघू, टिकरी एवं गाजीपुर बॉर्डर से तिरंगे और विभिन्न किसान संगठनों के झंडे के साथ मार्च शुरू हो गया। सुरक्षा अधिकारी प्रदर्शनकारियों को निर्धारित रास्ते पर ही मार्च निकालने के लिए राजी करते नजर आए।
परेड में शामिल लोगों को तिलक कर रहे परिवार की सदस्य रानी देवी ने कहा, हम किसानों की मांग का समर्थन करते हैं। हम उनकी उपज की वजह से जिंदा है और अब समय है कि हम उनके लिए खड़े हो। हम उनकी भावना को सलाम करते हैं। बता दें कि तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर किसान दो महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं।