श्रीनगर। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला एक हफ्ते में दूसरी बार बुधवार को प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश हुए। उनकी यह पेशी जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में करोड़ों रुपये के कथित घोटाले और धनशोधन के मामले में पूछताछ के लिए हुई है। वहीं, उनकी पार्टी नेशनल कांफ्रेस ने इसे विपक्ष को ‘धमकाने’ की एक और कोशिश करार दिया है।
अब्दुल्ला जो बुधवार को 84 साल के हुए , श्रीनगर के सिविल लाइन इलाके के राजबाग स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कार्यालय में पेश हुए। इससे पहले गत सोमवार को उनसे छह घंटे तक ईडी ने पूछताछ की थी।
अब्दुल्ला के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपनी नाखुशी जाहिर करते हुए पिता को समन किए जाने को लेकर पार्टी के बयान को ट्वीट किया। इसके साथ उन्होंने संदेश लिखा, ‘‘ यह उस दिन हुआ जब मेरे पिता 84 साल के हो रहे हैं।’’
ईडी के अधिकारियों ने पहचान गोपनीय रखते हुए कहा कि फारूक अब्दुल्ला को कुछ स्पष्टकीरण के लिए दोबारा बुलाया गया है। वर्ष 2018 में धनशोधन निषेध अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज करने के बाद ईडी ने पहली बार पिछले साल जुलाई में चंडीगढ़ में अब्दुल्ला से पूछताछ की थी।
अब्दुल्ला ने सोमवार को पूछताछ के बाद कहा था कि वह इससे चिंतित नहीं हैं और जांच में सहयोग करेंगे।
अब्दुल्ला को तीन दिन के भीतर दूसरी बार पूछताछ के लिए बुलाए जाने के तुरंत बाद नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) प्रवक्ता इमरान नबी डार ने बयान जारी कर नाराजगी जताई और कहा कि इस हथकंडे का उद्देश्य केवल भाजपा की ‘विभाजनकारी राजनीति’ का विरोध कर रहे विपक्षी नेताओं को ‘धमकाना’ है। पार्टी ने विरोध की आवाज को कथित तौर पर दबाने के लिए सरकार की निंदा की।
This on a day when my father turns 84! https://t.co/Q9h3VPccIn
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 21, 2020
नेकां ने कहा, ‘‘कितनी बार भाजपा सीबीआई, ईडी, भ्रष्टाचार निरोधी ब्यूरो और अन्य एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्ष को धमकाने में करेगी? यह हथकंडा आम हो गया है। कोई भी सरकार के खिलाफ बोलेगा और उसकी विभाजनकारी राजनीति के सामने खड़ा होने की हिम्मत करेगा तो उसका पीछा किया जाएगा और उसे समन भेजा जाएगा।’’
ईडी के समन को ‘रणनीति के तहत उठाया गया कदम’ करार देते हुए नेशनल कांफ्रेंस के प्रवक्ता इमरान नबी डार ने कहा कि इसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर की मुख्य धारा की पार्टियों के बीच एकजुटता पैदा करने की फारूक अब्दुल्ला की कोशिश को बाधित करना है।
बार-बार ईडी द्वारा समन देने को दबाव डालने की रणनीति करार देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ वह क्या है जो ईडी 83 वर्षीय सांसद से छह घंटे की पूछताछ में पूछना भूल गई ?’’ डार ने कहा कि सरकार और उसकी एजेंसियां क्या कानून का अनुपालन करने वाले नागरिक के बारे में विचार नहीं करती जो कमजोर हैं और मधुमेह की बीमारी का शिकार हैं।
उन्होंने ने कहा, ‘‘अब्दुल्ला के साथ जिस तरह का व्यवहार हो रहा है, वह सबूत है कि भाजपा को अपनी छवि बचाने की भी चिंता नहीं है और देश में धौंस दिखाने की प्रवृत्ति उसे रास आ रही है।’’
डार ने कहा, ‘‘आजकल क्लीनचिट मिलने का एक ही तरीका है कि विचारधारा का समर्पण कर दें और भाजपा में शामिल हो जाएं। हमने यह सिलसिला असम से कर्नाटक, पश्चिम बंगाल से आंध्र प्रदेश तक में देखा, लेकिन अब्दुल्ला चाहे कुछ भी हो जाए, भाजपा के समक्ष आत्मसमर्पण नहीं करेंगे।’’
पिछली बार पूछताछ जम्मू-कश्मीर की नेशनल कांफ्रेस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) सहित मुख्य धारा की पार्टियों की अब्दुल्ला के घर हुई बैठक और ‘गुपकर घोषणपत्र‘ के लिए गठबंधन बनाने के फैसले के चार दिन बाद हुई थी।
ईडी ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मामला दर्ज किया है। सीबीआई ने जेकेसीए के पदाधिकारियों को आरोपी बनाया है जिनमें महासचिव मोहम्मद सलीम खान और पूर्व कोषाध्यक्ष अहसान अहमद मिर्जा शामिल हैं।
सीबीआई ने वर्ष 2018 में अब्दुल्ला, खान, मिर्जा के अलावा जेकेसीए के पूर्व कोषाध्यक्ष मीर मंजूर गजनफ्फर अली, पूर्व लेखाकार बशीर अहमद मिसगर और गुलजार अहमद बेग के खिलाफ जेकेसीए के कोष में करीब 43.69 करोड़ रुपये की कथित गड़बड़ी करने को लेकर आरोपपत्र दाखिल किया। यह राशि भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) ने वर्ष 2002 से 2011 के बीच राज्य में क्रिकेट को प्रोत्साहित करने के लिए आवंटित की थी।