कृषि कानून के विरोध की आग हुई तेज, पंजाब में रेल रोको आंदोलन का आगाज


नये कृषि बिल को लेकर पंजाब के किसाने रेल रोको आंदोलन शुरू कर दिया और इसकी शुरूआत बृहस्पतिवार को पंजाब राज्य के पटियाला के नाभा से रेल की पटलियों पर विरोध प्रदर्शन कर शुरू कर दिया। यहां पर सैकड़ों की संख्या में किसानों ने रेल की पटरियों पर बैठकर प्रदर्शन किया और जिससे रेल सेवा को बाधित रही।


मंज़ूर अहमद मंज़ूर अहमद
देश Updated On :

नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा बनाए गये नये कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। हालांकि सरकार इस नये कानून पर देश के किसानों के मूढ को भांप कर डैमैज कंट्रोल में लगी है फिर भी हमेशा ” जो चाहा वह किया” फितरत वाली मोदी सरकार इस कानून को लेकर पीछे हटने के मूढ में नहीं है।

नये कृषि कानून के फायदे गिनाने के लिए मोदी सरकार ने अपने बड़े नेताओं और बड़े  विरोध की आवाजा उठने वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बिल के बारे में सरकार की नीयत को सही तरीके से पेश करने को कहा है। जिसके बाद बृहस्पतिवार को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नये कृषि बिल के समर्थन में सोशल मीडिया पर उसके फायदे गिनाते नजर आए। इसके अलावा हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला इस बिल को किसान हितैषी बता रहे हैं।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी नये कृषि बिल के पक्ष में आज संवाददाता सम्मेलन किया, साथ ही बीजेपी के दूसरे नेता भी सोशल मीडिया पर मोर्चा संभाल लिया और इसके फायदे गिनाते थक नहीं रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कोरोना और दूसरी परेशानियों के नाराज किसान अबकी बार केंद्र सरकार से आर-पार के लिए तैयारी कर लिया है।

नए कृषि कानून खिलाफ मंगलवार को पंजाब , हरियाणा, यूपी के कई हिस्सों में भारी विरोध प्रदर्शन किया गया और रैलियां निकाली गईं। इसके अलावा पश्चिम उत्तर प्रदेश के  किसान भी नये कृषि कानून के विरोध में रैलिया निकाल रहे हैं। और अगले दो दिनों में कई किसान संगठन रैलियां निकलने की तैयारी कर रहे हैं।

पंजाब में शुरू हुआ रेल रोको आंदोलन

नये कृषि बिल को लेकर पंजाब के किसानों ने रेल रोको आंदोलन शुरू कर दिया और इसकी शुरूआत बृहस्पतिवार को पंजाब राज्य के पटियाला के नाभा से रेल की पटलियों पर विरोध प्रदर्शन कर शुरू कर दिया। यहां पर सैकड़ों की संख्या में किसानों ने रेल की पटरियों पर बैठकर प्रदर्शन किया जिससे इस रूट पर रेल सेवा बाधित रही।

पानीपथ में किसानों ने निकाली विशाल रैली
नये कृषि कानून के विरोध में हरियाणा के पानीपथ में हजारों किसानों ने रैली निकालकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और बिल को वापस लेने की मांग की। किसानों की कहना है कि सरकार ने नये कृषि बिल में न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) का कोई जिक्र नहीं किया है इसका मतलब यही है किसानों को उनकी फसलों का कोई न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दिया जाएगा और सरकार जब तक बिल में यह संसोधन नहीं करती है तब तक वह विस्वास नहीं करेंगे।

पूंजीपतियों के हवाले किसान ?

उल्लेखनीय है कि आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम को 1955 में बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र की सरकार ने  बड़े पैमाने पर बदलाव कर दिया है। इस नए कृषि बिल के बाद अब खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्‍पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा दी गई है। बहुत जरूरी होने पर जैसे कि राष्‍ट्रीय आपदा, सूखा जैसी अपरिहार्य स्थितियों पर स्‍टॉक लिमिट लगाई जाएगी। प्रोसेसर या वैल्‍यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी कोई स्‍टॉक लिमिट लागू नहीं होगी। उत्पादन, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा।

इस कानून को 1955 में इसलिए बनाया गया था कि पहले व्यापारी फसलों को किसानों से औने-पौने दामों में खरीदकर उसका भंडारण कर लेते थे और बाद में उन्हीं फसलों और खाद्य पदार्थों का कालाबाजारी करते हुए उच्च दाम पर बेचते थे। उसको रोकने के लिए Essential Commodity Act 1955 बनाया गया था जिसके तहत व्यापारियों द्वारा कृषि उत्पादों के एक लिमिट से अधिक भंडारण पर रोक लगा दी गई थी।

वहीं इस नये कानून में किसानों के उत्पादों को सरकार जो पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य देकर खरीदती थी उसके बारे में कुछ आश्वासन नहीं दिया गया है जिसको लेकर किसानों में रोष हैं। किसानों का कहना है कि मोदी सरकार ने किसानों को पूंजीपतियों को हवाले कर दिया है। वे चाहेंगे तो किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिलेगा और नहीं चाहेंगे तो नहीं मिलेगा।