
नई दिल्ली। बागी बलिया की माटी में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री व युवा तुर्क के रूप में विख्यात चंद्रशेखर को उनकी जयंती पर लोगों ने याद किया और भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को पूर्व प्रधानमंत्री एवं समाजवादी नेता चंद्रशेखर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। फ़िलहाल उनके बेटे नीरज शेखर भाजपा से राज्य सभा सदस्य हैं।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘‘सामाजिक सशक्तीकरण के प्रति कटिबद्धता और सादगी के लिए चंद्रशेखर का सभी राजनीतिक दल सम्मान करते थे। चंद्रशेखर 1990 से 1991 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। उत्तर प्रदेश के बलिया में 1927 को जन्मे चंद्रशेखर ने 1960 में कांग्रेस का दामन थामा था लेकिन आपातकाल का विरोध करने और इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए उन्हें भी जेल मे बंद कर दिया गया था।
I pay homage to our respected former PM Shri Chandra Shekhar Ji on his Jayanti. He was respected across party lines for his simplicity and commitment to social empowerment. pic.twitter.com/2J1S40Pbt2
— Narendra Modi (@narendramodi) April 17, 2021
आपातकाल के बाद 1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले वह प्रखर नेताओं में शुमार किए जाते थे। वर्ष 2007 में उनका निधन हो गया। उन्हें आज भी लोग ‘‘युवा तुर्क’’ के रूप में याद करते हैं। अपनी बेबाकी के लिए मशहूर रहे युवा तुर्क चंद्रशेखर ने अपने राजनीतिक जीवन में कभी भी पद पाने की लालसा नहीं रखी और बने तो देश के प्रधानमंत्री।
बहुत कम समय के लिए चंद्रशेखर देश के प्रधानमंत्री रहे लेकिन चंद्रशेखर सत्ता की राजनीति के मुखर विरोधी थे और लोकतांत्रिक मूल्यों व सामाजिक परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता की राजनीति को महत्व देते थे। चंद्रशेखर समाजवाद के भारत विख्यात मनीषी आचार्य नरेंद्रदेव के शिष्य थे और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अपने छात्र जीवन में ही समाजवादी आंदोलन से जुड़ गए थे।
राजनीतिक में उनकी पारी सोशलिस्ट पार्टी से शुरू हुई और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंचकर खत्म हुई। 1965 में कांग्रेस की उस वक्त की समाजवादी नीतियों से प्रभावित होकर उन्होंने अशोक मेहता के साथ प्रजा सोशलिस्ट पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गये तो समाजवादी हलकों में उनकी तीखी आलोचना की गई।
‘युवा तुर्क’ के ही चंद्रशेखर ने 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव लड़ा और जीते। 1974 में भी उन्होंने इंदिरा गांधी की ‘अधीनता’ अस्वीकार करके लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का समर्थन किया। 1975 में कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने इमरजेंसी के विरोध में आवाज उठाई और अनेक उत्पीड़न सहे।