नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गुड फ्राइडे हमें ईसा मसीह के संघर्ष और बलिदान की याद दिलाता है।
मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘गुड फ्राइडे हमें ईसा मसीह के संघर्ष और बलिदान की याद दिलाता है। वह जरूरतमंदों की सेवा करने और बीमार लोगों के कष्ट दूर करने के लिए समर्पित थे।’’
Good Friday reminds us about the struggles and sacrifices of Jesus Christ. A perfect embodiment of compassion, He was devoted to serving the needy and healing the sick.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 2, 2021
ईसाई धर्म के अनुसार ईसा मसीह ईश्वर के पुत्र थे। अपने जीवन के अंतिम क्षण तक, लोगों में प्रेम और विश्वास जगाने वाले प्रभु यीशु को तमाम शारीरिक यातनाएं देने के बाद फ्राइडे के दिन ही क्रॉस पर लटकाया गया था। इसलिए उस दिन को ‘गुड फ्राइडे’ के नाम से संबोधित कर, प्रभु यीशु को याद किया जाता है। ईसाई धर्म में गुड फ्राइडे को शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है। गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे और ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं।
गुड फ्राइडे कैसे मनाया जाता है ?
भारत विविध धर्मों का देश है। इसलिए यहाँ हर धर्म के त्योहार खूब धूम-धाम से मनाए जाते हैं। भारत के कई राज्यों में गुड फ्राइडे के दिन स्कूलों में छुट्टी रहती है। असम, गोवा, केरल जैसे राज्यों में, जहाँ ईसाई धर्म के लोग बहुत ज्यादा संख्या में रहते हैं वहाँ गुड फ्राइडे, ईस्टर और क्रिसमस बहुत अच्छी तरह से मनाया जाता है।
गुड फ्राइडे को ईसाई धर्म के लोग शोक दिवस के रूप में मनाते हैं। वे लोग चर्च जाकर प्रभु यीशु के दिए हुए मानवता के संदेशों को, उनके उपदेशों को स्वयं में उतारने का संकल्प लेते हैं। उनके बलिदान को याद करते हुए कुछ जगहों पर लोग उस दिन काले रंग के कपड़े पहनते हैं। उस दिन चर्च में घंटा नहीं बजाया जाता, उसकी जगह लकड़ी को खटखटा कर आवाज की जाती है लोग क्रॉस को माथे से लगाते हैं और उसे चूमकर प्रभु यीशु को याद करते हैं। लोग समाज के कल्याण के लिए उस दिन सामर्थ्य अनुसार दान देते हैं।