वाराणसी। ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष को झटका लगा है। मस्जिद में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक जांच की मांग को वाराणसी कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कार्बन डेटिंग के कारण शिवलिंग को नुकसान पहुंच सकता है। ज्ञानवापी में सर्वे के दौरान सामने आए शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच की मांग खारिज हो गई है। शुक्रवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने मामले पर सुनवाई की। अदालत ने कार्बन डेटिंग के साथ ही अन्य किसी भी वैज्ञानिक तरीके के परीक्षण की मांग खारिज कर दी है। मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी।
जिला जज ने अपने फैसले में कहा कि हाईकोर्ट ने 15 मई को कथित शिवलिंग को सुरक्षित रखने को कहा था। कार्बन डेटिंग या किसी अन्य पद्धति से जांच से शिवलिंग को नुकसान हो सकता है। राडार पद्धति से भी जांच होती है तो नुकसान की आशंका है। जज ने लिखा कि अगर नुकसान होता है तो लोगों की धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंच सकती है। अदालत ने यह भी कहा कि एएसई जांच से मामले के न्यापूर्ण समाधान की संभावना भी नहीं दिखाई देती है।
उल्लेखनीय है कि श्रंगारगौरी सहित अन्य विग्रहों के पूजा के अधिकार के वाद पर सुनवाई के दौरान हुए सर्वे में ज्ञानवापी मस्जिद के वुजूखाने में शिवलिंग जैसी आकृति मिली थी। उसकी कार्बन डेटिंग सहित अन्य वैज्ञानिक पद्धति से जांच कराने के लिए हिंदू पक्ष के पांच में से चार वादियों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन व विष्णु शंकर जैन ने प्रार्थना पत्र दिया था। एक वादी ने कार्बन डेटिंग की जगह किसी और जांच की मांग की थी।
मुस्लिम पक्ष की आपत्ति के जवाब में वादी अधिवक्ता ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के संरक्षण का आदेश क्षेत्र के बाबत है, न की शिवलिंग की आकृति के सम्बंध में है। चूंकि एक विषय की अलग-अलग व्याख्या की जा रही है, इसलिए उसे स्पष्ट होना आवश्यक है। इसलिए वैज्ञानिक सर्वेक्षण होना नितांत जरूरी है।
वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा कि अदालत ने कार्बन डेटिंग की मांग को खारिज कर दिया है। हम इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाकर इसे चैलेंज करेंगे। हम अभी तिथि नहीं बता सकते लेकिन जल्द ही इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट जाकर इसपर वहां चैलेंज किया जाएगा।