नई दिल्ली। सर्कसों में जानवरों की स्थिति का पता लगाने और उनके खान-पान पर दिल्ली हाई कोर्ट ने पशु कल्याण के लिये काम करने वाले दो संगठनों को निर्देशित करते हुए भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) द्वारा किये जाने वाले सर्वेक्षण का हिस्सा बनने की मंजूरी दे दी है।
सर्वेक्षण में जानवरों की स्थिति का पता लगाने के साथ ही उन जानवरों को खाना और दवाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी जो बीमार हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि करीब एक दशक से पशु अधिकार संरक्षण के लिये काम कर रहे 100 संगठनों के समूह फेडरेशन ऑफ इंडियंस एनीमल्स प्रोटेक्शन और पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) के प्रतिनिधि इस सर्वेक्षण का हिस्सा बनने के लिये हकदार हैं।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने कहा कि सर्वेक्षण के दौरान अगर बोर्ड द्वारा यह पाया जाता है कि पशु बीमार या कुपोषित है तो दोनों संगठन या सरकारी अधिकारी दवाएं, भोजन और पोषण युक्त आहार सर्कस स्थल पर ही उन्हें उपलब्ध करा सकते हैं। उच्च न्यायालय ने बोर्ड से भौतिक सर्वेक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट जमा करने को कहा है।
एफआईएपीओ और पेटा की दो याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अदालत ने सर्कस के अधिकारियों से यह भी कहा कि वे सर्वेक्षण प्रक्रिया के दौरान सहयोग करें। अदालत ने दोनों की याचिकाओं पर केंद्र, पशु कल्याण बोर्ड और सर्कसों से प्रतिक्रिया मांगी थी। अदालत को बताया गया कि केंद्र की तरफ से अभी जवाब दाखिल नहीं किया गया है। अदालत ने अधिकारियों को तीन हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए अगली सुनवाई 29 सितंबर तय की।