ऑड-ईवन से कैसे घटेगा पॉल्यूशन? SC में हलफनामा दाखिल कर दिल्ली सरकार ने दिया जवाब


राजधानी दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बड़ा ऐलान किया है। केजरीवाल सरकार ने 9 से लेकर 18 नवंबर तक सभी स्कूलों में विंटर ब्रेक घोषित कर दिया। यानी अब बच्चों को मिलने वाली 10 दिनों की छुट्टियां दिसंबर के बजाय नवंबर में ही मिल जाएगी।


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दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की आलोचना के बाद शुक्रवार (10 नवंबर 2023) को अपना हलफनामा दायर किया। इस हलफनामे में उन्होंने कोर्ट को यह बताने की कोशिश की है कि आखिर ऑड-ईवन लागू करने से प्रदूषण पर क्या असर पड़ता है।

इस स्कीम को बचाव करते हुए दिल्ली सरकार ने कहा, इससे गाड़ियों की भीड़ घटती है। सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल बढ़ता है, ईंधन की खपत में गिरावट आती है, दूसरे राज्यों में रजिस्टर्ड टैक्सी को दिल्ली आने से पूरी तरह रोकना संभव नहीं है। ईंधन इस्तेमाल और उनके नंबर के आधार पर सीमित रोक लगाई जा सकती है।

दिल्ली के वायु प्रदूषण पर 5 चौंकाने वाली रिपोर्ट

राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार गंभीर श्रेणी में बना हुआ है। बढ़ते प्रदूषण और जहरीली बनी हुई हवाओं के कारण ज्यादातर लोगों की आंखें, सीने और गले में खराश की समस्या हो रही है। सुप्रीम कोर्ट भी प्रदूषण पर दिल्ली और पंजाब सरकार को फटकार लगा चुकी है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ( CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक आज यानी 9 नवंबर को दिल्ली की एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 431 पर जा पहुंची है जो सामान्य से लगभग पांच गुना ज्यादा है।

इस बीच वायु प्रदूषण पर ऐसे 6 चौंकाने वाले रिपोर्ट सामने आए हैं जो बताते हैं कि इस जहरीली हवा में सांस लेना लोगों की जान के लिए कितना खतरनाक है। ऐसे में सवाल ये उठता कि सरकार की तरफ से इस मामले पर अब तक चुप्पी क्यों बनी हुई है। इस रिपोर्ट में प्रदूषण से जुड़े उन 5 रिसर्च के बारे में विस्तार से जानते हैं।

1. दिल्ली में पिछले 18 सालों में कैंसर से होने वाली मौतें साढ़े तीन गुना तक बढ़ गई हैं और डॉक्टर इसका एक कारण प्रदूषण भी मानते हैं। इस बीच राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के साल 2012 से साल 2016 तक के आंकड़ें के अनुसार, भारत में कैंसर रजिस्ट्री वाले सभी स्थानों में राजधानी दिल्ली में सबसे ज्यादा लोगों की रजिस्ट्री हुई है। इस आंकड़े के अनुसार 0 से 14 साल के उम्र के बच्चों में कैंसर का प्रतिशत 0।7 प्रतिशत से 3।7 प्रतिशत के बीच है।

इसी रिपोर्ट में बताया गया कि वायु प्रदूषण के कारण बच्चों में कैंसर होने का खतरा ज्यादा हो जाता है क्योंकि बच्चे वयस्कों की तुलना में ज्यादा तेजी से सांस लेते हैं और ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी करते हैं। इसके अलावा बच्चें ज्यादातर जमीन के करीब रहते हैं, जहां प्रदूषक जमा होता रहता हैं।

2. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में जिस तरीके से वातावरण में प्रदूषण फैला हुआ है। वह बड़ों से लेकर बच्चों तक के लिए काफी हानिकारक है। दिल्ली के ज्यादातर अस्पतालों में प्रदूषण के कारण बीमार हो रहे लोग भर्ती किए जा रहे है।

फिलहाल इस जहरीली हवा में कई प्रदूषक मौजूद हैं, जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ), नाइट्रिक ऑक्साइड (एनओ), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2), ओजोन (ओटीएच), आदि। यह सभी तत्व इंसानी शरीर के लिए खतरनाक है।

सबसे ज्यादा खतरनाक तत्व है अल्ट्रा फाइन पार्टिकुलेट मैटर 2।5 (PM2।5)। पीएम 2।5 मोटर गाड़ियों, बिजली संयंत्रों और औद्योगिक गतिविधियों, पटाखे उड़ाने से उत्पन्न होती है।

इस रिपोर्ट के अनुसार लंबे समय तक इन तत्वों के संपर्क में रहने वालों को सांस लेने से जुड़ी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इससे अस्थमा और हृदय रोग भी हो सकते हैं।

3.  डाउन टू अर्थ (डीटीई) ने अपनी एक रिपोर्ट में साल 2018 से लेकर  2023 के अक्टूबर महीने के बीच प्रकाशित 25 शोध का विश्लेषण करते हुए लिखा है कि भारत के बच्चों पर वायु प्रदूषण का प्रभाव दिल्ली या उत्तर भारत तक ही सीमित नहीं है।

वायु प्रदूषण भ्रूण से लेकर बच्चे के स्वास्थ्य तक पर प्रभाव डालता है। डाउन टू अर्थ की इसी रिपोर्ट के अनुसार खराब वायु गुणवत्ता के संपर्क में आई गर्भवती महिलाओं के बच्चों के जन्म के समय उनके वजन में कमी, समय से पहले प्रसव होने और मृत बच्चे का जन्म लेने जैसी दिक्कतें आती है।

हवा की खराब गुणवत्ता के बच्चों का विकास में देरी, विफलता आना आम हो गया है। इसके अलावा बच्चे में सांस में दिक्कत और एनीमिया का खतरा भी बढ़ जाता है।

4. शरीर में एंटीबायोटिक का असर कम होना वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक बढ़ता खतरा है। साल 2019 में दुनिया भर में इसके कारण ही 1।27 मिलियन से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि 2050 तक इसी कारण हर साल 100 करोड़ लोगों की जान जा सकती है।

एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल निमोनिया जैसे जीवाणु संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है, लेकिन आज कल बढ़ते प्रदूषण के कारण जो छोटी छोटी बीमारियां हो रही है और उसे ठीक करने के लिए लोग एंटीबायोटिक प्रतिरोधक दवा का इस्तेमाल कर रहे हैं।

उससे शरीर में ऐसे जीवाणु बनने शुरु हो गए हैं जो एंटीबायोटिक दवाओं का सामना कर सकते है। इसके परिणामस्वरूप ऐसी कई बीमारियां हो रही है जिनका इलाज बहुत कठिन होता है।

एंटीबायोटिक प्रतिरोध मुख्य रूप से दूषित भोजन या पानी के माध्यम से शरीर में फैलता है, लेकिन एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि प्रतिरोधी बैक्टीरिया फैलने का यह एकमात्र तरीका नहीं है। चीन और यूके के शोधकर्ताओं के अनुसार, वायु प्रदूषण एंटीबायोटिक प्रतिरोध भी फैला रहा है।

5.  हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट ‘वायु प्रदूषण और बाल स्वास्थ्य प्रिस्क्राइबिंग क्लीन एयर’ सामने आई है। जिसमें बताया गया है कि भारत में पिछले पांच साल में जहरीली हवा के कारण सबसे ज्यादा कम 5 साल से कम उम्र के बच्चों की असामयिक मौत हुई हैं।

इस रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में वायु प्रदूषण के कारण 101,788 बच्चों की मौत हुई थी। इन बच्चों की उम्र 5 साल से कम थी। इसी रिपोर्ट के सिर्फ बाहरी वायु प्रदूषण के कारण हर घंटे लगभग सात बच्चे मर जाते हैं, और उनमें से आधे से अधिक लड़कियां होती हैं।

लगभग सभी भारतीय बच्चे-98 प्रतिशत-डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों से अधिक असुरक्षित हवा में सांस लेते हैं। एशिया में केवल अफगानिस्तान, पाकिस्तान और कुछ अफ्रीकी देश ही ऐसे हैं जहां मृत्यु दर भारत से ज्यादा दर्ज की गई है।

अब जानते हैं कि सरकार ने इसपर क्या कदम उठाया है

राजधानी दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बड़ा ऐलान किया है। केजरीवाल सरकार ने 9 से लेकर 18 नवंबर तक सभी स्कूलों में विंटर ब्रेक घोषित कर दिया। यानी अब बच्चों को मिलने वाली 10 दिनों की छुट्टियां दिसंबर के बजाय नवंबर में ही मिल जाएगी। इस छुट्टी को विंटर ब्रेक के साथ एडजस्ट कर दिया जाएगा।

दिल्ली सरकार इस ऐलान के साथ ही कहा है कि दिसंबर-जनवरी का विंटर ब्रेक अभी एडजस्ट किया जाएगा। दिल्ली सरकार ने ये कदम राजधानी में प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए उठाया है, जिससे बच्चों को सेफ रखा जा सके।

राजधानी के अलावा इन मेट्रो शहरों का भी हालत खराब

राजधानी दिल्ली के अलावा अन्य महानगरों में भी प्रदूषण की कारण हालात बिगड़े हुए हैं। कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में भी हवा की गुणवत्ता इस तरह बिगड़ी हुई है कि वहां रहने वालों की सेहत लगातार खराब हो रही है। अगर बात करें पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की तो यहां केन्द्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार वायु प्रदूषण सूचकांक 175 पर है। यह सामान्य से लगभग चार गुना ज्यादा है। हालांकि यह बहुत खराब नहीं है लेकिन खराब स्तर पर है।

ठीक इसी तरह भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में भी वायु प्रदूषण सूचकांक 125 पर है जो लगभग संतोषजनक है। तमिलनाडु के चेन्नई में AQI आज गुरुवार (9 नवंबर) 66 पर है जो सामान्य माना जा रहा है।



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