नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केन्द्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली के तीनों नगर निगमों के प्रतिनिधियों के बीच इन निगमों की वित्तीय समस्या का समाधान तलाशने के लिये बैठक करने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने कहा कि केन्द्र, दिल्ली सरकार और तीनों नगर निगमों के प्रतिनिधियों की समिति दिल्ली के तीनों निगमों की वित्तीय समस्या के साथ ही दिल्ली सरकार के वित्तीय पहलुओं पर गौर कर सकती है।
दिल्ली सरकार का दावा है कि उसे केन्द्र सरकार से माल एवं सेवाकर (जीएसटी) संग्रह के तहत 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का उसका हिस्सा नहीं मिला है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर को तय करते हुये कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि यह बैठक जल्द से जल्द होगी।’’
उच्च न्यायालय की ओर से यह आदेश उत्तरी दिल्ली नगर निगम (उत्तरी दिननि) द्वारा दायर आवेदन पर दिया गया है। उत्तरी दिननि का आरोप है कि स्वच्छता शहरी विकास मद के तहत पहली तिमाही में दी जाने वाली 90.60 करोड़ रुपये की अनुदान सहायता राशि का भुगतान उसे नहीं किया गया। इसी मद में अब दूसरी तिमाही की भी 181 करोड़ रुपये की राशि लंबित हो चुकी है।
उत्तरी दिल्ली नगर मिगम का कहना है कि यह धन ‘‘सफाई कर्मचारियों’’ के वेतन और स्वच्छता से जुड़ी गतिविधियों के लिये दिया जाता है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम की ओर से यह आवेदन राहुल बिड़ला की रिट याचिका के साथ दायर किया गया है। राहुल बिड़ला ने अपनी रिट याचिका में दिल्ली सरकार और निगर निगमों को उनके द्वारा नियुक्त सफाई कर्मचारियों को उनका वेतन और बकाये का भुगतान करने का निर्देश देने का अदालत से आग्रह किया है।
उत्तरी दिननि ने अपने निवेदन में कहा है कि कर्मचारियों को मई 2020 तक दिये गये वेतन, सफाई सेवाओं पर खर्च, कम्रचारियों को पीपीई किट, दस्ताने, मास्क, सेनिटाइजर पर पूरा खर्च निगम ने अपने खुद के संसाधनों से किया है। इस दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से कोई धन नहीं दिया गया।