सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला: त्वचा से त्वचा के संपर्क संबंधी फैसले पर शीर्ष न्यायालय के आदेश का एनसीडब्ल्यू ने किया स्वागत

हाथरस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोगी की चुप्पी आयोग की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े करती है।

नई दिल्ल। राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) मामले में बंबई उच्च न्यायालय के ‘त्वचा से त्वचा के संपर्क’ संबंधी फैसले को रद्द करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश का बृहस्पतिवार को स्वागत किया। साथ ही, उम्मीद जताई कि यह महिलाओं और बच्चों की कानूनी सुरक्षा कायम रखने में मदद करेगा।

शीर्ष न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि यौन हमले का सबसे महत्वपूर्ण घटक यौन मंशा है, बच्चों की त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं।

आयोग ने चार फरवरी को उच्चतम न्यायालय में एक विशेष अनुमति याचिका दायर कर बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए कहा था कि यह महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक खतरनाक उदाहरण स्थापित करेगा।

आयोग ने याचिका दायर कर उच्च न्यायालय के फैसले पर चिंता प्रकट करते हुए था कि महिलाओं और बच्चों के लिए इसके दूरगामी परिणाम होंगे क्योंकि उन्हें एक असंवेदनशील समाज का सामना करना पड़ेगा।

आयोग ने एक बयान में कहा, ‘‘आयोग माननीय उच्चतम न्यायालय के आज के फैसले का स्वागत करता है और उसे यकीन है कि इस विषय में शीर्ष न्यायालय का फैसला महिलाओं व बच्चों की कानूनी एवं संवैधानिक सुरक्षा को कायम रखेगा। ’’

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि शरीर के यौन अंग को छूना या यौन इरादे से किया गया शारीरिक संपर्क का कोई भी अन्य कृत्य पॉक्सो कानून की धारा सात के अर्थ के तहत यौन उत्पीड़न होगा।

First Published on: November 18, 2021 5:31 PM
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