G-20 समूह में भारत एकमात्र देश जो पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं पर अमल कर रहा : जावड़ेकर


केंद्र सरकार ने जी-20 समूह के देशों में भारत की प्रशंसा की।


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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि जी-20 समूह के देशों में भारत एकमात्र देश है जो वनरोपण और नवीकरणीय ऊर्जा पर पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं का क्रियान्वयन कर रहा है।

राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पिछले छह साल में वन क्षेत्र में 15,000 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा कि इसकी गति और तेज होने की संभावना है क्योंकि केंद्र सरकार ने पिछले साल 48,000 करोड़ रुपये राज्यों को दिए और साथ ही निर्देश दिया है कि 80 फीसद धनराशि का उपयोग वन एवं वन्यजीवों के विकास से संबंधित क्रियाकलापों पर खर्च किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत जी-20 समूह का एकमात्र देश है जो तय की गई राष्ट्रीय भूमिकाओं के मद्देनजर पेरिस समझौते का क्रियान्वयन कर रहा है। वह चाहे नवीकरणीय ऊर्जा हो या कार्बन उत्सर्जन या फिर वन क्षेत्र का निर्माण करना….. इन तीनों प्रतिबद्धताओं के लिहाज से हम अन्य राष्ट्रों की तुलना में कहीं आगे हैं।’’

जावड़ेकर ने कहा कि हरित भारत और बागवानी कार्यक्रमों के अलावा वनरोपण के लिए केंद्र व राज्य के स्तर पर भारत ने कई कदम उठाए हैं ताकि देश के वन क्षेत्र में वृद्धि को और मजबूती मिले।

उन्होंने कहा कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने मानसून की बारिश में बदलावों को लेकर 29 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में दक्षिणी पश्चिमी मानसूत्र सत्र के दौरान 30 वर्षों (1989-2018) के उपलबध आंकड़ों की समीक्षा की है। जावड़ेकर ने कहा कि 1901 से 2019 के बीच ग्रीष्मकालीन मानसून कमोबेश स्थिर रहा है हालांकि पिछले कुछ दशकों में यह कमजोर पड़ता गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘आईएमडी की रिपोर्ट के मुताबिक पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मेघालय और नगालैंड में 30 वर्षों (1989-2018) में दक्षिण पश्चिमी मानसून में खासी गिरावट का चलन देखा गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि सभी परिवर्तनों को जलवायु परिवर्तन से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।’’



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