नई दिल्ली। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश आज प्रत्येक भारतवासी का जीवन बचाने के लिए हरसंभव प्रयास तो कर ही रहा है, साथ ही अपने वैश्विक दायित्वों का भी उतनी ही गंभीरता से पालन करते हुए बिना कोई भेदभाव किए देश और पूरे विश्व में संकट में घिरे लोगों के साथ पूरी मजबूती से खड़ा है।
बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर ‘वेसाक वैश्विक समारोह’ को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ऐसे कठिन समय में दुनियाभर में नि:स्वार्थ भाव से काम करने वाले लोग अभिनंदन के पात्र है। उन्होंने कहा, भारत आज प्रत्येक भारतवासी का जीवन बचाने के लिए हरसंभव प्रयास तो कर ही रहा है, साथ ही अपने वैश्विक दायित्वों का भी उतनी ही गंभीरता से निर्वाह कर रहा है। भारत की प्रगति विश्व की प्रगति में हमेशा सहायक रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा, आज हम सब एक कठिन परिस्थिति से निकलने के लिए निरंतर जुटे हुए हैं और साथ मिलकर काम कर रहे हैं। भारत नि:स्वार्थ भाव से, बिना कोई भेदभाव किये, देश और पूरे विश्व में संकट में घिरे लोगों के साथ पूरी मजबूती से खड़ा है।
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ऐसे समय में जब दुनिया में उथल-पुथल है, कई बार दुःख-निराशा-हताशा का भाव बहुत ज्यादा दिखता है, तब भगवान बुद्ध की सीख और भी प्रासंगिक हो जाती है। उन्होंने कहा, उनका (भगवान बुद्ध) कहना था कि मानव को निरंतर यह प्रयास करना चाहिए कि वह कठिन परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करे, उनसे बाहर निकले। थक कर रुक जाना, कोई विकल्प नहीं होता।
मोदी ने कहा कि बुद्ध भारत के बोध और भारत के आत्मबोध, दोनों का प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि इसी आत्मबोध के साथ भारत निरंतर पूरी मानवता एवं पूरे विश्व के हित में काम कर रहा है और करता रहेगा।
गौरतलब है कि बुद्ध पूर्णिमा पर यह कार्यक्रम कोरोना वायरस महामारी के कारण आभासी माध्यम से आयोजित किया गया। इस वर्ष यह समारोह कोविड-19 महामारी से मुकाबला कर रहे अग्रिम मोर्चे पर तैनात योद्धाओं और इसके पीड़ितों को समर्पित है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लाभ-हानि, समर्थ-असमर्थ से अलग, हमारे लिए संकट की ये घड़ी सहायता करने और जितना संभव हो सके मदद का हाथ आगे बढ़ाने की है। यही कारण है कि विश्व के अनेक देशों ने भारत को इस मुश्किल समय में याद किया और भारत ने भी हर ज़रूरतमंद तक पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संघ के सहयोग से संस्कृति मंत्रालय ने दुनिया भर के बौद्ध संघों के सर्वोच्च प्रमुखों की भागीदारी के साथ एक आभासी प्रार्थना कार्यक्रम आयोजित किया है। इस दौरान समारोह को बिहार के बोधगया में महाबोधि मंदिर, सारनाथ में मूलगंधा कुटी विहार, नेपाल के पवित्र गार्डन लुंबिनी, कुशीनगर में परिनिर्वाण स्तूप, पवित्र और ऐतिहासिक अनुराधनापीठ में रूणवेली महा सेवा से लाइव स्ट्रीम किया जाएगा।
बहरहाल, प्रधानमंत्री ने कहा कि समय बदला, स्थिति बदली, समाज की व्यवस्थाएं बदलीं, लेकिन भगवान बुद्ध का संदेश जीवन में निरंतर विद्यमान रहा है। मोदी ने कहा, यह सिर्फ इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि बुद्ध सिर्फ एक नाम नहीं है बल्कि एक पवित्र विचार भी है। प्रत्येक जीवन की मुश्किल को दूर करने के संदेश और संकल्प ने भारत की सभ्यता को, संस्कृति को हमेशा दिशा दिखाई है। भगवान बुद्ध ने भारत की इस संस्कृति को और समृद्ध किया है।
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ऐसे समय में जब दुनिया में उथल-पुथल है, कई बार दुःख-निराशा-हताशा का भाव बहुत ज्यादा दिखता है, तब भगवान बुद्ध की सीख और भी प्रासंगिक हो जाती है। उन्होंने कहा, उनका (भगवान बुद्ध) कहना था कि मानव को निरंतर यह प्रयास करना चाहिए कि वह कठिन परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करे, उनसे बाहर निकले। थक कर रुक जाना, कोई विकल्प नहीं होता।