नई दिल्ली। एनजीटी ने कहा कि ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) असम के बागजान में तेल के कुआं में आग लगने की घटना की जिम्मेदारी ठेकेदार के सिर मढ़कर इससे पल्ला नहीं झाड़ सकती। राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने इस घटना में संबंधित लोगों की लापरवाही के लिए जिम्मेदारी तय करने को लेकर छह सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया।
तिनसुकिया जिले के बागजान में पिछले साल नौ जून को कुआं संख्या पांच से अनियंत्रित तरीके से गैस निकलने लगी और इसमें आग लग गयी जिससे ओआईएल के दो दमकलकर्मियों की मौत हो गयी।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए के गोयल के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि ‘‘प्रथम दृष्टया’’ वह सहमत है कि सुरक्षा एहतियात बरतने में ओआईएल नाकाम रही और यह सुनिश्चित किए जाने की जरूरत है कि दोबारा ऐसी घटनाएं ना हों।
पीठ ने कहा, हम पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के सचिव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय कमेटी को डीजी हाइड्रोकार्बन और डीजी खान सुरक्षा, डीजी तेल उद्योग सुरक्षा और पीईएसओ (पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन), विस्फोटक के मुख्य नियंत्रक, नयी दिल्ली के साथ तीन महीने के भीतर इस पहलू पर गौर करने का निर्देश देते हैं।
पीठ ने कहा कि यह कमेटी स्थिति की समीक्षा करेगी और घटना में संबंधित लोगों की नाकामियों के लिए जिम्मेदारी तय करने समेत समाधान के लिए उपयुक्त कदम का निर्देश देगी।
एनजीटी ने 24 जून 2020 को मामले पर गौर करने और एक रिपोर्ट सौंपने के लिए उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति बी पी कटाके की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था।
कार्यकर्ता बोनानी कक्कर और अन्य द्वारा दाखिल याचिका पर यह आदेश आया जिनका आरोप है कि बागजान तेल कुआं में लगी आग को बुझाने में प्राधिकारी नाकाम रहे।