भारत में संस्थानों को कब्जा लिया गया है, आने वाले चुनाव संकेत देंगे, क्या होने वाला है : राहुल


भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों के बारे में पूछे जाने पर और यह कि कांग्रेस सत्ता में आने पर क्या करेगी, उन्होंने कहा, “भारत में पहले से ही एक बहुत मजबूत प्रणाली है। अगर लोकतांत्रिक तरीके से बातचीत को बढ़ावा दिया जाएगा तो ये मुद्दे अपने आप सुलझ जाएंगे।”


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वाशिंगटन। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने यहां अपने संबोधन में कहा है कि भारत में संस्थानों और मीडिया को सत्ता ने कब्जे में ले लिया है। कर्नाटक का परिणाम सबने देखा, अब आगामी विधानसभा चुनावों के नतीजे इस बात के ‘संकेत’ होंगे कि आगे क्या होने वाला है। लोगों के भीतर गुस्सा है।

राहुल गांधी ने गुरुवार को यहां नेशनल प्रेस क्लब में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “संस्था और प्रेस पर निश्चित रूप से सत्ता का कब्जा है। मुझे यकीन नहीं है कि .. मैं जो कुछ भी सुनता हूं, उस पर विश्वास नहीं करता। मैं पूरे भारत में घूमा, कन्याकुमारी से पैदल चला, कश्मीर तक पहुंचा और लाखों भारतीयों से सीधे बात की और वे बहुत खुश नहीं दिख रहे हैं।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “लोग बहुत स्पष्ट रूप से कह रहे थे कि वे बेरोजगारी, मूल्यवृद्धि के मुद्दों को लेकर चिंतित हैं और मैंने लोगों में गुस्सा देखा। कर्नाटक चुनाव में लोगों ने अपना गुस्सा जाहिर किया और अगले तीन से चार चुनावों को देखना है। यह एक संकेतक होगा कि आगे क्या होने जा रहा है।”

राहुल अमेरिका की छह दिवसीय यात्रा पर हैं। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर कहा, “हम जमीन पर जो देखते हैं वह बड़े पैमाने पर बेरोजगारी और कीमतों में नाटकीय वृद्धि है और यह एक कारण है कि हम कर्नाटक में जीते, क्योंकि भारत में यह भावना है कि ऐसे लोगों के एक समूह को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिनके पास बड़ी मात्रा में संपत्ति है और दूसरी ओर बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो गरीब हैं और जरने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।”

राहुल गांधी ने कहा, “आय में भारी असमानता है, क्योंकि बेरोजगारी 40 साल के उच्चतम स्तर पर है। इसलिए यह कहना कि अर्थव्यवस्था अच्छा कर रही है, मैं इससे सहमत नहीं हूं।”

उन्होंने कहा कि हम (कांग्रेस) इसे कैसे देखते हैं और भाजपा कैसे देखती है, इसके बीच मुख्य अंतर है।

पूर्व सांसद ने कहा, “हम शक्ति के विकेंद्रीकरण में विश्वास करते हैं, हम छोटे और मध्यम उद्योगों में विश्वास करते हैं, क्योंकि भारत में वे ही विकास के इंजन हैं।”

भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों के बारे में पूछे जाने पर और यह कि कांग्रेस सत्ता में आने पर क्या करेगी, उन्होंने कहा, “भारत में पहले से ही एक बहुत मजबूत प्रणाली है। अगर लोकतांत्रिक तरीके से बातचीत को बढ़ावा दिया जाएगा तो ये मुद्दे अपने आप सुलझ जाएंगे।”

उन्होंने कहा कि कांग्रेस वह पार्टी है, जिसने सबसे पहले उन स्वतंत्र संस्थानों की परिकल्पना की, उन्हें मजबूत किया। अब उन्हें कमजोर किया जा रहा है।

राहुल इससे पहले स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में व्याख्यान दे चुके हैं और सैन फ्रांसिस्को में प्रवासी भारतीयों के साथ बातचीत भी कर चुके हैं।