पक्षी विहार को बेहतर जगह चयनित करने के निर्देश

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बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी।


पटना। बिहार के उपमुख्यमंत्री मंत्री सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार को अधिकारियों को प्रदेश के ऐसे स्थलों को चयनित करने का निर्देश दिया, जिन्हें पक्षी विहार के रूप में विकसित किया जा सके। कहा है कि ये भूमि पानी के आस पास होनी चाहिए। वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बिहार राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण की पहली बैठक की अध्यक्षता करते हुए सुशील ने आर्द्रभूमि के अभिलेखों को अपडेट किये जाने का निर्देश दिया।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के वेब पोर्टल पर राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण की वेबसाईट बनायी जाये जिसमें आर्द्रभूमि से संबंधित सारी सूचनाएं डाली जाएं। सुशील ने आर्द्रभूमि (संरक्षण एवं प्रबंधन) नियम 2017 के प्रावधानों के तहत चौर क्षेत्र के विकास करने का निर्देश दिया।

उन्होंने कहा कि आर्द्रभूमि में वैसे स्थलों को चिन्ह्ति किया जाए, जिन्हें पक्षी विहार के रूप में विकसित किया जा सके। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि आर्द्रभूमि का संक्षित दस्तावेज तैयार करने के लिए एजेंसी एवं विशेषज्ञों का सहयोग लिया जाए। कहा कि कावर झील में पानी की उपलब्धता बनी रहे इसके लिए अन्य विभागों के साथ समन्वय कर प्रयास किया जाए।

साथ ही साथ अन्य आर्द्रभूमियों में भी पानी की उपलब्धता बनी रहे इसका ध्यान रहे। बैठक के दौरान पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव द्वारा बताया गया कि वन्यप्राणी एवं पक्षियों की उपस्थिति वाले आर्द्रभूमियों को पर्यटन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानते हुए इसका विकास करना अपेक्षित है।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय वेटलैंड एटलस के अनुसार राज्य में 2.25 हेक्टेयर से छोटे जल क्षेत्रों को छोड़कर कुल 4,416 आर्द्रभूमि स्थल हैं जिनमें 3,003 प्राकृतिक झीलें, 238 नदियां एवं धाराएं तथा 1,175 मानव निर्मित जलाशय, पोखर, तालाब हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल 3,856 वर्ग किलोमीटर है और यह राज्य के भौगोलिक क्षेत्रफल का 4 प्रतिशत है।

बैठक में ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव सह विकास आयुक्त सी.पी. खण्डूजा, मनरेगा के आयुक्त, जल संसाधन विभाग के सचिव, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सचिव सहित कई विषय विशेषज्ञों ने भाग लिया।

उपमुख्यमंत्री ने बैठक में प्राप्त सभी सुझावों के आलोक में राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण द्वारा रखे गये प्रस्ताव का अनुमोदन करते हुए निर्देशित किया कि सभी हितधारकों के साथ एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कर आर्द्रभूमि के समग्र विकास के लिए विस्तृत चर्चा की जाए।



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