संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने भारत द्वारा प्रायोजित एक प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया है। इसके तहत 2023 को ‘मोटे अनाज का अंतरराष्ट्रीय वर्ष’ घोषित किया गया है। मोटे अनाज में बाजरा, ज्वार, जौ या कोदी जैसी फसलें आती हैं। इस प्रस्ताव का 70 से अधिक देशों ने समर्थन किया।
✅Adopted!
The UN General Assembly today unanimously adopted resolution initiated by India with Bangladesh, Kenya, Nepal, Nigeria, Russia & Senegal to mark 2023 as the International Year of Millets.
Resolution was co-sponsored by 70+ countries. pic.twitter.com/dZehfehtNR
— India at UN, NY (@IndiaUNNewYork) March 3, 2021
भारत के प्रस्ताव को 70 देशों ने समर्थन दिया। बाजरा स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इस वर्ष विश्वभर में बाजरे के फायदे का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। साथ ही जलवायु परिवर्तन के दौर में इसकी पैदावार को बढ़ावा दिया जाएगा।
‘अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष 2023’ का प्रस्ताव भारत ने बांग्लादेश, केन्या, नेपाल, नाइजीरिया, रूस और सेनेगल के साथ रखा। इसका समर्थन 70 देशों ने किया। 193 सदस्यीय आम सभा ने सर्वसम्मति से इसकी स्वीकृति दे दी। भारत के संयुक्त राष्ट्र में स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति (UN Ambassador TS Tirumurti) ने कहा कि दुनियाभर में बाजरा की खेती किए जाने के बाद भी पिछले कुछ वर्षो से इसकी पैदावार में कई देशों में तेजी से कमी आई है।
#UNGA will consider tomorrow draft resolution on “International Year of Millets 2023” initiated by #India with Bangladesh, Kenya, Nepal, Nigeria, Russia & Senegal.
Resolution co-sponsored now by 60+ countries. Thank you co-sponsors 🙏 & all others for supporting “nutri-cereals” pic.twitter.com/BCBjbo4bcC
— PR UN Tirumurti (@ambtstirumurti) March 3, 2021
प्रस्ताव के पारित होने के साथ ही भारत के स्थायी मिशन ने बाजरा से बने ‘मुरुक्कू’ का सभी सदस्यों में वितरण किया। यह नाश्ते में खाए जाने वाला एक भारतीय व्यंजन है। भारत के इस प्रस्ताव की सभी सदस्यों ने प्रशंसा की। रूस के स्थायी मिशन ने प्रस्ताव के पारित होने के बाद ट्वीट किया कि बाजरा प्राचीन फसल है और रूस में इसके पारंपरिक व्यंजन तैयार किए जाते हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने ट्वीट किया, ‘यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि भारत द्वारा प्रायोजित प्रस्ताव को आज सुबह आम सहमति से स्वीकार कर लिया गया। प्रस्ताव के तहत 2023 को मोटे अनाज का अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित किया गया है।’
Delighted that Indian 🇮🇳 sponsored @UN resolution on “International Year of Millets 2023” was adopted by consensus in #UNGA this morning.
Big step to promote nutritional & ecological benefits of #millets to the 🌏 as a key component of food basket & effect policy changes – 1/2 pic.twitter.com/2PNAAS5vxM
— PR UN Tirumurti (@ambtstirumurti) March 3, 2021
उन्होंने कहा, ‘विश्व में जौ, ज्वार या बाजरे के पोषक और पारिस्थितिकी लाभ को प्रोत्साहित करने की दिशा में यह बड़ा कदम है।’ तिरुमूर्ति ने प्रस्ताव के समर्थक देशों- बांग्लादेश, केन्या, नेपाल, नाइजीरिया, रूस, सेनेगल और अन्य के प्रति आभार जताया। 193 देशों के सदस्य वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा का यह फैसला भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति को भी दर्शाता है। तिरुमूर्ति ने कहा, बाजरा का उत्पादन कई देशों में घट रहा है जबकि इसकी खेती काफी व्यापक रही है। ऐसे में इसे लाभ पहुंचाने की तत्काल आवश्यकता है।
Big thank you 🙏 to all co-sponsors, especially Bangladesh, Kenya, Nepal, Nigeria, Russia & Senegal, and all Member States of @UN for their strong support!
Glad that all Member States enjoyed the delicious millet “murukku” distributed by our Mission @IndiaUNNewYork – 2/2 pic.twitter.com/nHjFiOmnoy
— PR UN Tirumurti (@ambtstirumurti) March 3, 2021
PM मोदी ने जताया आभार
संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के प्रस्ताव को मिली सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि मोटे अनाजों को लोकप्रिय बनाने के मोर्चे पर जुटा भारत इस फैसले से सम्मानित महसूस कर रहा है। इससे न सिर्फ खाद्य सुरक्षा और किसानों के कल्याण को बल मिलता है, बल्कि यह कृषि वैज्ञानिकों और स्टार्ट-अप समुदाय के लिए शोध और नवोन्मेष के द्वार भी खोलता है।
Gratitude to all the nations who initiated and co-sponsored the resolution on International Year of Millets at the @UN.
Distinguished delegates were also served delicious Millet Murukku! This is one snack I also relish and urge all of you to try it as well. pic.twitter.com/j84PyWN5l5
— Narendra Modi (@narendramodi) March 4, 2021
उन्होंने इस प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देशों का आभार जताते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सभी प्रतिनिधियों को नाश्ते में मुरुक्कू पेश किया गया। इसे मैं भी बहुत पसंद करता हूं और सभी से आग्रह है कि वे भी इसे एक बार जरूर आजमाएं।
India is honoured to be at the forefront of popularising Millets, whose consumption furthers nutrition, food security and welfare of farmers. This also offers research and innovation opportunities for agriculture scientists and start-up communities. https://t.co/cHcDK1JKN2
— Narendra Modi (@narendramodi) March 4, 2021