आइवरमेक्टिन दवा से कम हो सकता है कोरोना का खतरा: रिसर्च

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नई दिल्ली। परजीवीरोधी दवा ‘आइवरमेक्टिन’ को लेकर हुए एक रिसर्च में सामने आया है कि निरंतर उपयोग से कोविड-19 की चपेट में आने का खतरा काफी कम हो सकता है। शोधकर्ताओं ने उपलब्ध आंकड़ों की समीक्षा के बाद ये बात कही है। उनका दावा है कि ये दवा महामारी को समाप्त करने में सहायक हो सकती है।

‘अमेरिकन जर्नल ऑफ थेरेप्यूटिक्स’ के मई-जून संस्करण में प्रकाशित इस शोध में नैदानिक, कृत्रिम परिवेशीय, पशुओं और अन्य शोध पर आधारित आइवरमेक्टिन के उपयोग को लेकर एकत्र किए गए उपलब्ध आंकड़ों की बेहद बारीकी से समीक्षा की गई है।

शोध का नेतृत्व करने वाले अग्रिम मोर्चा कोविड-19 देखभाल गठबंधन (एफएलसीसी) के अध्यक्ष पियरे कोरी ने एक बयान में कहा, ‘ हमने आइवरमेक्टिन पर उपलब्ध आंकड़ों की बेहद बारीकी से समीक्षा की, जिसके बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह दवा महामारी को समाप्त कर सकती है।’

आइवरमेक्टिन दवा का उपयोग परजीवी संक्रमण का इलाज करने के लिए किया जाता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन कोविड-19 मरीजों के उपचार में आइवरमेक्टिन दवा का उपयोग किया गया, वे जल्दी ठीक हुए और मौत के मामलों में भी सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण कमी दर्ज की गई।

कोविड-19 से बचाव के संबंध में आइवरमेक्टिन के प्रभाव का पता लगाने के लिए यादृच्छिक नियंत्रित जांच (आरसीटी) एवं पांच अवलोकन नियंत्रित जांच समेत करीब 2500 मरीजों पर इसके असर का अध्ययन किया गया। सभी अध्ययन में पाया गया कि आइवरमेक्टिन का निरंतर उपयोग किए जाने पर कोरोना की चपेट में आने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।