जयंती विशेष : सादगी और ईमानदारी के प्रतीक शास्त्री जी की 116वीं जयंती

बबली कुमारी बबली कुमारी
देश Updated On :

नई दिल्ली। “देश की तरक्की के लिए हमें आपस में लड़ने के बजाए गरीबी, बीमारी, अशिक्षा और अज्ञानता से लड़ना होगा” यह कथन है हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शाष्त्री जी की जिन्होंने अपना पूरा जीवन किसानों ,गरीबों और जरूरतमंदों पर न्यौछावर कर दिया। लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्मदिवस 2 अक्टूबर को शास्त्री जयंती के रूप में मनाया जाता है। आज लाल बहादुर शाष्त्री जी के जयंती पर पूरा देश उन्हें नमन कर रहा है। आज शास्त्री जी का 116 वीं जयंती है।

शास्त्री का जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर, 1904 को शारदा प्रसाद और रामदुलारी देवी के घर हुआ था। उस छोटे-से शहर में लाल बहादुर की स्कूली शिक्षा कुछ खास नहीं रही लेकिन गरीबी की मार पड़ने के बावजूद उनका बचपन पर्याप्त रूप से खुशहाल बीता देश की आजादी में लाल बहादुर शास्त्री का महत्वपूर्ण योगदान रहा। साल 1920 में शास्त्री ने भारत की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए थे। स्वाधीनता संग्राम के जिन आंदोलनों में उनकी अमिट भूमिका रही, उनमें 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 का दांडी मार्च और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन उल्लेखनीय हैं। शास्त्री ने ही देश को ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था। इस नारे से उन्होंने अपने किसान प्रेम और उनके प्रति अपने आदर को जग जाहिर किया।

शास्त्री जी ने अपना पूरा जीवन निडर होकर लोगों के अधिकारों और सम्मान के लिए संघर्ष किया। लाल बहादुर शास्त्री ने अपना पूरा जीवन गरीबों की सेवा में समर्पित किया। देश की आजादी में लाल बहादुर शास्त्री का अविस्मरणीय योगदान रहा। लाल बहादुर जयंती के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। वहीं प्रधानमंत्री ने विजय घाट पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर उनकी स्मृति को नमन। भारत माता के उस महान सपूत ने अभूतपूर्व समर्पण और सत्यनिष्ठा से देश की सेवा की। हरित क्रांति व श्वेत क्रांति में मूलभूत भूमिका और युद्धकाल में सुदृढ़ नेतृत्व के लिए सभी देशवासी उन्हें श्रद्धापूर्वक याद करते है।’

प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री को याद करते हुए लिखा, ‘लाल बहादुर शास्त्री जी विनम्र और दृढ़ थे। उन्होंने सादगी को महत्व दिया और हमारे राष्ट्र के कल्याण के लिए जीया। हम उनकी जयंती पर उन्हें भारत के लिए किए गए हर काम के लिए कृतज्ञता की भावना के साथ याद करते हैं।’

गृह मंत्री ने शास्त्री जी को नमन करते हुए कहा, ‘भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री जी का सादगीपूर्ण, दूरदर्शी व निडर व्यक्तित्व पूरे देश को प्रेरित करता है। उनके हिमालय जैसे मजबूत नेतृत्व और ‘जय जवान जय किसान’ के ओजस्वी नारे ने भारत की समृद्धि व सुरक्षा के दो सबसे बड़े स्तंभ…किसानों और जवानों को सशक्त किया। उन्हें कोटि-कोटि नमन।’

सन्‌ 1966 में 11 जनवरी को शास्त्री जी का ताशकंद में हार्ट अटैक आने से निधन हो गया। शास्त्री जी की सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये मृत्यु के पश्चात सन्‌ 1966 में उन्हें भारत के सर्वोच्च उपाधि ‘भारत रत्न’ से विभूषित किया गया। राष्ट्र के विजयी प्रधानमंत्री होने के नाते उनकी समाधि का नाम भी ‘विजय घाट’ रखा गया।