
गौतम चौधरी
झारखंड में गठबंधन सरकार बनने के महज कुछ ही महीनों में कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के बीच खटपट प्रारंभ हो गया है। कोरोना काल में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिससे साबित होता है कि प्रदेश के सत्तारूढ़ गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। स्वाभाविक रूप से इसका फायदा उठाने के लिए भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर तीखे हमले प्रारंभ कर दिए हैं। लेकिन अभी वे हेमंत और झारखंड मुक्ति मोर्चा पर थोड़े नरम हैं। इसकी शुरूआत कांग्रेस की ओर से ही की गयी है। सबसे पहले कांग्रेस कोटे के मंत्री आलमगीर आलम ने लगभग 700 मजदूरों को लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए रांची से कई स्थानों के लिए भेजा। यह खबर जैसे ही मीडिया में आई कांग्रेस बैकफुट पर आ गयी और जेएमएम के नेता जगरनाथ महतो आलमगीर आलम पर हमलावर हो गए। इस मामले को लेकर महतो ने तो कुछ नहीं कहा लेकिन दीदी किचन पर सवाल खड़े किए।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के कद्दावर नेता एवं राज्य सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सह उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा था कि दीदी किचन और आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और लापरवाही हो रही है। इसके लिए इन केंद्रों का संचालन कर रहा स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसायटी (जेएसएलपीएस) जिम्मेदार है। उनके पास इसका पर्याप्त सबूत भी है। बीते गुरूवार 30 अप्रैल को स्वास्थ्य मंत्री और कांग्रेस पार्टी नेता बन्ना गुप्ता ने मीडिया से कहा, अगर सरकार कोई फैसला लेती है तो उसे गठबंधन के साथियों को भी बताना चाहिए, विचार विमर्श करना चाहिए। चाहे वह आईपीएस के ट्रांसफर का मसला हो या फिर योजनाओं को लागू करने के लिए नए नियमों का बनाया जाना। दरअसल, अभी हाल ही में झारखंड सरकार के कार्मिक विभाग ने बड़े पैमाने पर पुलिस पदाधिकारियों का स्थानांतरण किया। कांग्रेस के नेताओं का आरोप है कि इस स्थानांतरण में कांग्रस कोटे के मंत्री को नहीं पूछा गया।
बन्ना गुप्ता ने कहा कि कोरोना फैलने में तबलीगी जमात का महत्वपूर्ण हाथ रहा है। झारखंड में कुल जितने मरीज हैं, उसका 90 प्रतिशत जमाती हैं या उसके संपर्क में आए हैं। उन्होंने कहा कि हमारे लिए मां भारती सबसे पहले है, बाद में बाकि दुनिया। जो गलत है उसे गलत ही कहूंगा, जबकि हाल ही में हेमंत सोरेन ने साफ कहा था कि कोरोना तबलीगी जमात के कारण नहीं फैला है। बीमारी धर्म देखकर नहीं फैलती है। बात कुछ ये है कि पिछले मंगलवार को राज्य में बड़े पैमाने पर आईपीएस का ट्रांसफर किया गया है। कोरोना संकट के बीच कुल 35 आईपीएस के तबादले ने सभी को चौंका दिया। सीएम हेमंत सोरेन ने यह भी फैसला लिया है कि सभी विभागों के सचिव अपने स्तर पर पांच करोड़ रुपया बिना टेंडर के विभिन्न योजनाओं के मद में खर्च कर सकते हैं।
बन्ना गुप्ता ने इस पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, यह पूरे तरीके से कार्यपालिका के नियम का उल्लंघन है। हम जनता के चुने हुए प्रतिनिधि हैं। हम बेहतर बता पाएंगे कि कौन सी योजना कैसे लागू होनी चाहिए। हम धरातल पर काम करते हैं। अधिकारी बेहतर प्रबंधन के लिए बैठे हैं, कार्ययोजना बनाने के लिए नहीं हैं। कोविड-19 लड़ाई के बीच राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स (रांची इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस) के निदेशक ने इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस कोटे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया, जबकि हेमंत सोरेन ने कहा है कि सरकार ने अभी इसे स्वीकार नहीं किया है। इस पूरे प्रकरण पर बन्ना गुप्ता ने कहा, रिम्स निदेशक को हटाया नहीं गया है, उन्होंने इस्तीफा दिया है, जिसे हमने स्वीकार कर लिया है।
झारखंड कांग्रेस राष्टीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की पैरोल रहाई को लेकर लगातार सरकार पर दबाव बना रही है लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस मामले में गंभीर नहीं दिख रहे हैं। कांग्रेस कोटे से मंत्री बादल पत्रलेख ने लालू यादव की रिहाई का मामला जोर-शोर से उठाया पर सरकार इस पर फैसला लेने के मामले में टालमटोल कर रही है। लालू यादव को लेकर कैबिनेट में इसपर चर्चा भी हुई बावजूद इसके लेकिन कहा गया कि महाधिवक्ता से राय लेने के बाद इसपर फैसला लिया जाएगा। अभी तक इसपर भी कोई निर्णय नहीं लिया गया। ध्यान रहे आरजेडी कोटे से शामिल मंत्री सत्यानंद भोक्ता इस पूरे दृश्य में कहीं नहीं हैं, जबकि कांग्रेस मामले को लेकर बेहद गंभीर दिख रही है। संभवत: कांग्रेस बिहार चुनाव में लालू यादव का उपयोग करना चाह रही हो और हेमंत भाजपा के दबाव में हों।
इससे पहले बीते 23 अप्रैल को राज्य में चार जगहों पर कांग्रेसी नेताओं ने पत्रकार अर्णब गोस्वामी पर एफआईआर दर्ज करायी। इसमें कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय ने गोड्डा जिले के महगामा थाना में केस दर्ज करने में देरी की वजह से धरने पर बैठ गईं। दवाब इतना बढ़ा कि थाना प्रभारी बलराम राउत को तत्काल सस्पेंड कर दिया गया। इसके तुरंत बाद इलाके के पांच थानेदारों ने लिखित शिकायत में कहा कि उन्हें महगामा इलाके से ट्रांसफर कर दिया जाए। विधायक के रवैये से वह असहज महसूस कर रहे हैं। मामला यही नहीं रुका। इसके तत्काल बाद पुलिस एसोसिएशन ने पत्र लिखकर विधायक के रवैये का विरोध जताया। एफआईआर दर्ज करनेवालों में विधायक इरफान अंसारी, यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव कुमार राजा सहित कई अन्य कांग्रेसी नेता शामिल थे।
इरफान अंसारी लॉकडाउन में भी कई जिलों में घूमते पाए गए हैं। इधर वरिष्ठ नेता सरयू राय को सरकार रांची से जमशेदपुर जाने की अनुमति नहीं दे रही है। यही नहीं बाबूलाल मरांडी और विधायक अनंत ओझा ने भी अपने क्षेत्र में जाने के लिए सरकार से अनुमति मांगी थी लेकिन उन्हें अनुमति नहीं मिली जबकि दीपिका पांडे खुले घुमती रही हैं। वे विदेश से आने के बाद कोरंटाइन में भी रहीं और बिना सरकार की अनुमति के, पहले तो जमशेदपुर गयी फिर अपने क्षेत्र महागामा चली गयी।
लॉकडाउन के शुरूआत में ही कांग्रेस कोटे के ही मंत्री आलमगीर ने नियम के विरुद्ध जाकर छह बसों से रांची के अपने इलाके पाकुड़ मजदूरों को भेज दिया था। मामला के तूल पकड़ने पर रांची के जिलाधिकारी को सीएम ने शो-कॉज नोटिस जारी कर सवाल पूछा था। इसपर डीसी ने जवाब दिया कि पहले उन्होंने इसकी सहमति दी थी लेकिन केंद्र सरकार के आदेश आने के बाद उन्होंने रद्द कर दिया था। इस पूरे मसले पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया, जिससे राज्य सरकार की भारी किरकिरी हुई।
शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने ने केवल आलमगीर आलम पर ही हमला नहीं बोला है उन्होंने कांग्रस कोटे के दूसरे मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव को भी लपेटे में लिया है। उन्होंने सवाल किया है कि अप्रैल माह बीतने को है लेकिन आंगनवाड़ी केंद्रों में अभी तक जनवरी माह का पोषाहार नहीं दिया गया है। बता दें कि खाद्य आपूर्ति विभाग जिसे यह पोषाहार उपलब्ध कराना है, वह कांग्रेस कोटे से मंत्री रामेश्वर उरांव के पास है।
इस पूरे प्रकरण में केन्द्र की सत्तारूढ़ भाजपा भी चुप नहीं बैठी है। जहां एक ओर बिहार, जहां भाजपा के सहयोग से नीतीश कुमार की सरकार चल रही है वहां के लिए ट्रेन चलाने की पहले अनुमति नहीं दी लेकिन झारखंड के मजदूरों को लाने के लिए तेलंगाना से ट्रेन चलवा दी गयी। यही नहीं झारखंड राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बीच में ही केन्द्र सरकार के दो मंत्री पीयूष गोयल और धर्मेन्द्र प्रधान ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बात की। इसे भी राजनीतिक गलियारे में भाजपा की शातिर चाल के रूप में देखा जा रहा है। प्रेक्षकों का मानना है कि हेमंत को भाजपा अपने पक्ष में लाने की पूरी योजना में है। हालांकि यह कहना अभी जल्दबाजी होगा कि हेमंत भाजपा की तरफ हो गए हैं लेकिन जो प्रदेश का चित्र बन रहा है उसमें बहुत जल्द प्रदेश का राजनीतिक समीकरण बदला हुआ-सा लगे, इसकी संभावना साफ दिखने लगी है।
(गौतम चौधरी वरिष्ठ पत्रकार हैं और रांची में रहते हैं।)