कुड्डालोर। फर्जी बैंक बनाकर फर्जीवाड़ा या बैंकों में फर्जीवाड़ा तो आपने खूब सुना होगा, लेकिन भारत के सबसे बड़े सरकारी बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के नाम से देश में कोई फर्जी स्थायी शाखा संचालित हो रही हो, ऐसा शायद ही आपने सुना हो, लेकिन देश में ऐसा भी संभव हो चुका है और पुलिस ने शनिवार को इस फर्जी बैंक के ब्रांच का भंडाफोड़ किया है।
अंग्रेजी अखबार फाइनेंशियल एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार तमिलनाडु़ पुलिस ने प्रदेश के कुड्डालोर जिले के पनरोती इलाके में गत तीन महीने से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक फर्जी शाखा का संचालन किया जा रहा था। पुलिस ने बताया कि इस शाखा का संचालन एसबीआई के ही एक पूर्व कर्मचारीका 19 वर्षीय बेटा कर रहा था। इस आरोपी की मां भी बैंक में कार्यरत थी जो दो साल पहले ही सेवानिवृत हुई है।
पुलिस के अनुसार इस बैंक शाखा के फर्जी होने का पता उस वक्त लगा जब एक उपभोक्ता ने ऋण से जुड़ी कुछ गड़बड़ियों की आशंका पर पुलिस से शिकायत की। इस संबंध में पुलिस ने कुल तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें एसबीआई के कर्मचारी का 19 वर्षीय बेटा कमल बाबू, उसका दूसरा सहयोगी 42 वर्षीय ए. कुमार और तीसरा कर्मचारी 52 वर्षीय एम.मानिकम है।
हालांकि, पुलिस का दावा है कि अभी तक किसी भी ग्राहक ने शाखा में पैसे खोने की सूचना नहीं दी है और उम्मीद है कि सभी उपभोक्ताओं के पैसे सुरक्षित होंगे। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, तीनों आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 473, 469, 484 और 109 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस के अनुसार कमल बाबू इस शाखा में लॉकर, तकनीकी हार्डवेयर और अन्य दस्तावेज जैसी सुविधा दे रहा था। इस बैंक की शाखा में काफी पैसे जमा होने के बाद भी शहर के किसी भी ग्राहक ने किसी भी तरह के नुकसान की सूचना या शिकायत नहीं दी है। 19 वर्षीय कमल बाबू, जिसको इस बैंक संचालन का मुख्य कर्ताधर्ता कहा जाता है, ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि उसका इरादा कभी भी लोगों को धोखा देने का नहीं था, बस वह अपना एक बैंक खोलना चाहता था।
एसबीआई के मुख्य शाखा के अधिकारियों के हवाले से पुलिस ने बताया कि इस बैंक शाखा का दौरा करने के दौरान इस शाखा की डिजायन बिल्कुल एसबाआई की असली शाखा की तरह ही था जिसमें अंतर करना मुश्किल था जिसके कारण जांच के दौरान अधिकारियों को भी इसके फर्जी होने का पता नहीं चल पाया।
पुलिस ने बताया कि यह लड़का अपने बचपन के दिनों से ही अपने पिता के साथ बैंक में अक्सर आता-जाता रहता था। इसी दौरान ही वह बैंक के संचालन से जुड़ी बारिकियां और दूसरी महत्वपूर्ण जानकारियों को अपने पिता से प्राप्त कर लिया था। बाद में पिता की मौत के बाद वह मृतक पिता के स्थान पर नौकरी के लिए आवेदन भी किया था, लेकिन समयसीमा खत्म हो जाने के कारण उसके आवेदन को स्वीकार नहीं किया गया जिसके बाद उसने बैंक का शाखा ही खोल दिया।
पुलिस के अनुसार कमल बाबू इस शाखा में लॉकर, तकनीकी हार्डवेयर और अन्य दस्तावेज जैसी सुविधा दे रहा था।
खबरों के अनुसार इस बैंक की शाखा में काफी पैसे जमा होने के बाद भी शहर के किसी भी ग्राहक ने किसी भी तरह के नुकसान की सूचना या शिकायत नहीं दी है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 19 वर्षीय कमल बाबू, जिसको इस बैंक संचालन का मुख्य कर्ताधर्ता कहा जाता है, ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि उसका इरादा कभी भी लोगों को धोखा देने का नहीं था, बस वह अपना एक बैंक खोलना चाहता था।