पीएम के स्वदेशी के समर्थन में आए गोविंदाचार्य, कहा समाज और सरकार को भूमिका निभाना होगा


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वदेशी और स्वालंबन के विचारों के समर्थन में आए विचारक के एन गोविंदाचार्य। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वदेशी और भारतीयता केतत्वों का समर्थन किया है और स्वावलंबी राष्ट्रीय जीवन के बारे में आग्रह किया है ।



नीतीश सिंह

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वदेशी और स्वालंबन के विचारों के समर्थन में आए विचारक के एन गोविंदाचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वदेशी और भारतीयता के तत्वों का समर्थन किया है और स्वावलंबी राष्ट्रीय जीवन के बारे में आग्रह किया है। गोविंदाचार्य का कहना है कि स्वदेशी के तत्वज्ञान के अनुकूल सामाजिक,राजनीतिक,आर्थिक व्यवस्थाएं गढ़ने का समय आया है। इसमें समाज और सरकार दोनों को अपनी भूमिका निभाना है। इन पहलुओं पर आगे भी चर्चा की जाएगी।
गोविंदाचार्य का कहना है-स्वदेशी का तत्व जमीन, जल,जंगल,जानवर,जीविका और जीवन परिवार से अभिन्न रूप से जुड़ा है। साथ ही स्वदेशी का तत्व केवल देश में बने वस्तुओं का उपयोग करने तक सीमित नहीं है बल्कि भाषा,भूसा,भोजन,भवन,भेसज और भजन को अपने अंदर समेटता है। भारतीय संदर्भ में स्वदेशी के ही समान महत्वपूर्ण सिक्के का पहलू है- विकेंद्रीकरण,स्वदेशी और विकेंद्रीकरण के मेल से ही भारत में अहिंसक समृद्धि आ सकती है और धर्म,अर्थ काम,मोक्ष इन चारों पुरुषार्थो को सिद्ध किया जा सकता है।
स्वदेशी का अर्थ विदेशी उद्योगपति की जगह भारतीय उद्योगपति को प्रतिस्थापित करना ही उद्देश्य नहीं है बल्कि भारतीय संदर्भ में 1991 में ही स्वदेशी का तकाजा घोषित किया जा चुका है वह है- चाहत से देशी-एक 15-20 किमी में प्रकृति से उत्पन्न वस्तुओं का सेवन। जरूरत से स्वदेशी- देश में देश के लोगों के द्वारा देशी संसाधन का उपयोग करते हुए स्वामित्व के गौरव के साथ आर्थिक व्यवस्था से जुड़ना। मजबूरी में विदेशी-मजबूरी में विदेशी चीजों का इस्तेमाल और मजबूरी कम होती चले इसका बुद्धिपुरस्तर प्रयास ही आगे की सही दिशा होगी।
गोविंदाचार्य ने कहा, भारत विविधतापूर्ण देश है। दुनिया के क्षेत्रफल का करीब 2 फीसद भारत है, लेकिन दुनिया के जैवविविधता की 16 फीसद किस्में भारत में उपलब्ध है।औषधीय वनस्पतियों का तो कहना ही क्या,भारत में 127 भू-पर्यावरणीय कृषि क्षेत्र है। इस कारण 40 फीसद से भी ज्यादा नस्लें गोवंश की पाई जाती हैं। भारत की दुनिया में विशेषता है-गौमाता और गंगाजी।



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