लालकृष्ण आडवाणी को मिलेगा भारत रत्न, पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पोस्ट कर दी जानकारी


साल 1951 में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की। तब से लेकर साल 1957 तक आडवाणी पार्टी के सचिव रहे। साल 1973 से 1977 तक उन्होंने भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष का दायित्व संभाा वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद से 1986 तक लालकृष्ण आडवाणी पार्टी के महासचिव रहे।


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नई दिल्ली। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सोशल मीडिया पर यह जानकारी दी। पीएम मोदी ने X पर अपने पोस्ट में लिखा ‘मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।’

PM मोदी ने आगे लिखा ‘मैंने भी उनसे बात की और इस सम्मान से सम्मानित होने पर उन्हें बधाई दी। हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक, भारत के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर हमारे उपप्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करने तक का है। उन्होंने हमारे गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उनके संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अनुकरणीय और समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरे रहे हैं।’ आइए इस खबर में उनके बार में जानते हैं।

लाल कृष्ण आडवाणी पिछले कुछ दशकों में भारतीय राजनीति में प्रतिष्ठित शख्सियतों में से एक हैं और 10वीं और 14वीं लोकसभा में विपक्ष के नेता रहे। 1998 से 2004 तक, भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार के दौरान, अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में, उन्होंने गृह मंत्री और बाद में उप प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। उनका जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची (अब पाकिस्तान में) में किशनचंद आडवाणी और ज्ञानीदेवी के घर हुआ था। लालकृष्ण आडवाणी का परिवार सिंधी हिंदुओं की आमिल शाखा से था।

कैसा रहा राजनीतिक जीवन

साल 1951 में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की। तब से लेकर साल 1957 तक आडवाणी पार्टी के सचिव रहे। साल 1973 से 1977 तक उन्होंने भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष का दायित्व संभाा वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद से 1986 तक लालकृष्ण आडवाणी पार्टी के महासचिव रहे। इसके बाद साल 1986 से 1991 तक पार्टी के अध्यक्ष पद का उत्तरदायित्व भी उन्होंने संभाला।

रथ यात्रा के केंद्र में रहे आडवानी

साल 1990 में राम मंदिर आंदोलन शुरू हुआ था। इस आंदोलन के दौरान आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या के लिए राम रथ यात्रा निकाली थी। हालांकि आडवाणी को बीच में ही गिरफ़्तार कर लिया गया था। लेकिन राजनीति में उनका कद बहुत बड़ा हो गया था। 990 की रथयात्रा ने लालकृष्ण आडवाणी की लोकप्रियता को चरम पर साल 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जिन लोगों को अभियुक्त बनाया गया है उनमें आडवाणी का नाम भी शामिल था।