नौकरी के बदले जमीन घोटाला: लालू यादव, राबड़ी देवी और मीसा भारती को जमानत


कोर्ट ने इस चर्चित मामले में सभी की याचिका को स्‍वीकार करते हुए उन्‍हें अंतरिम जमानत दे दी। कोर्ट ने एक लाख के मुचलके पर उनकी जमानत अर्जी स्‍वीकर की है। बता दें कि लैंड फॉर जॉब मामले को लेकर लालू यादव और उनके परिवार पर लगातार राजनीतिक हमले किए जाते रहे हैं।


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नई दिल्‍ली। नौकरी के बदले जमीन घोटाले में लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के अन्‍य सदस्‍यों को दिल्‍ली की अदालत से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उन्‍हें जमानत दे दी है। दिल्‍ली राउज एवेन्‍यू कोर्ट में लालू यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव और हृदयानंद चौधरी की जमानत अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस चर्चित मामले में सभी की याचिका को स्‍वीकार करते हुए उन्‍हें अंतरिम जमानत दे दी। कोर्ट ने एक लाख के मुचलके पर उनकी जमानत अर्जी स्‍वीकर की है। बता दें कि लैंड फॉर जॉब मामले को लेकर लालू यादव और उनके परिवार पर लगातार राजनीतिक हमले किए जाते रहे हैं।

तेजस्वी यादव ने पी शराब…सरकार जाते ही मुश्किलों में फंसे पूर्व डिप्टी CM

बिहार में सरकार बदलने के बाद एक बार फिर तेजस्वी यादव मुश्किलों में फंसते नजर आ रहे हैं। हालांकि इस बार दूसरे राजनीतिक दलों के नेताओं के चलते नहीं बल्कि अपनों के ही कारण परेशानी में आ गए हैं। दरअसल, तेजस्वी यादव के पार्टी के ही पूर्व एमएलसी रामबली सिंह ने आरोप लगाया है, ‘सरकार में रहते हुए तेजस्वी यादव ने शराब का सेवन किया था।’ वहीं इन आरोपों के बाद भाजपा नेता सुशील मोदी ने राज्य सरकार से जांच कराने की मांग की है।

सुशील मोदी ने कहा, ‘तेजस्वी यादव के पद पर रहते उनकी ही पार्टी के विधान परिषद सदस्य रामबली सिंह ने आरोप लगाए हैं तो उनके पास कुछ प्रमाण भी होंगे।’ उन्होंने कहा कि किसी की विधान परिषद सदस्यता समाप्त या बहाल करने का फैसला स्पीकर का विशेष अधिकार है। लेकिन शराबबंदी कानून तोड़ने के आरोप की जांच तो सरकार करा ही सकती है।

राजद के पूर्व एमएलसी रामबली सिंह की सदस्यता हाल ही में रद्द की गई थी। इनके निलंबन के पीछे कई वजहें बताई जा रही हैं। सोशल मीडिया पर रामबली सिंह का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि तेजस्वी यादव भी शराब पीते हैं। उनका बयान पिछले साल सामने आया था।

बीते साल 2023 में सुनील सिंह ने 2 नवंबर को रामबली सिंह की सदस्यता रद्द करने के लिए विधान परिषद में आवेदन दिया था। इसके बाद 15 दिसंबर को रामबली सिंह चंद्रवंशी ने विधान परिषद अध्यक्ष को सफाई दी थी। इसके बाद विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने मामले की सुनवाई की। अब 6 फरवरी को सभापति ने फैसला सुनाया है।