म्यूकर माइकोसिस की दवा बनाने को पांच और कंपनियों को दिया गया लाइसेंस

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नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि ब्लैक फंगस से उत्पन्न होने वाले रोग म्यूकरमाइकोसिस के उपचार में काम आने वाली दवा ‘एंफोटेरिसिन-बी’ के उत्पादन के लिए पांच और कंपनियों को लाइसेंस दिया गया है तथा वे जुलाई से हर महीने इस दवा की 1,11,000 शीशियों का उत्पादन शुरू करेंगी।

मंत्रालय ने कहा कि फंगस रोधी दवा की घरेलू उपलब्धता के अलावा इस दवा के आयात के प्रयास भी किए जा रहे हैं और मई में ‘एंफोटेरिसिन-बी’ की 3,63,000 शीशियों का आयात किया जाएगा। इसके साथ ही देश में (घरेलू उत्पादन को मिलाकर) दवा की कुल 5,26,752 शीशियां उपलब्ध होंगी।

इसने कहा कि जून में दवा की 3,15,000 शीशियों का आयात किया जाएगा और घरेलू उत्पादन को मिलाकर देश में जून में ‘एंफोटेरिसिन-बी’ की उपलब्धता बढ़कर 5,70,114 शीशियों तक पहुंच जाएगी।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हाल के दिनों में कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कोविड-19 संबंधी जटिलताओं से पीड़ित लोगों को म्यूकरमाइकोसिस होने के मामलों वृद्धि की खबरें मिली हैं। इसने कहा कि ‘एंफोटेरिसिन-बी’ दवा की कमी होने की भी खबरें हैं।

इसमें कहा गया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, औषध विभाग और विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर इस दवा के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए पहले से सक्रिय होकर प्रयास कर रहा है। बयान में कहा गया कि केंद्र सरकार ने घरेलू उपलब्धता के पूरक के रूप में वैश्विक विनिर्माताओं से दवा हासिल करने के भी प्रयास किए हैं।

मंत्रालय ने कहा कि ‘एंफोटेरिसिन-बी’ के उत्पादन के लिए जिन पांच और कंपनियों को लाइसेंस दिया गया है, उनमें नैटको फार्मास्यूटिकल्स हैदराबाद, एलेंबिक फार्मास्यूटिकल्स वड़ोदरा, गुफिक बायोसाइंसेज लिमिटेड गुजरात, एमक्योर फार्मास्यूटिकल्स पुणे और गुजरात स्थित लाइका शामिल है।

बयान में कहा गया कि ये कंपनियां इस साल जुलाई से हर महीने ‘एंफोटेरिसिन-बी’ की 1,11,000 शीशियों का उत्पादन शुरू करेंगी। इसमें कहा गया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और औषधि विभाग इस दिशा में पहले से सक्रिय होकर काम कर रहे हैं कि ये पांचों कंपनियां इस उत्पादन का कुछ हिस्सा थोड़ा पहले तैयार कर लें जिससे कि यह अतिरिक्त आपूर्ति जून में शुरू हो सके।

देश में मौजूदा समय में ‘एंफोटेरिसिन-बी’ का उत्पादन करनेवाली पांच कपंनियां-भारत सीरम्स एंड वैक्सीन लिमिटेड, बीडीआर फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड, सन फार्मा लिमिटेड, सिप्ला लिमिटेड, लाइफ केयर इनोवेशंस हैं तथा एक आयातक कंपनी-माइलन लैब्स है।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘अप्रैल के महीने में इन कंपनियों की उत्पादन क्षमता काफी सीमित थी। भारत सरकार की मदद के परिणामस्वरूप ये घरेलू विनिर्माता मई में ‘एंफोटेरिसिन-बी’ की कुल मिलाकर 1,63,752 शीशियों का उत्पादन करेंगे। इसे और बढ़ाकर जून में 2,55,114 शीशियों तक किया जाएगा।’’

इसने कहा कि आयात के माध्यम से इस फंगस रोधी दवा की घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। मंत्रालय ने कहा, ‘‘मई में ‘एंफोटेरिसिन-बी’ की 3,63,000 शीशियों का आयात किया जाएगा। इसके साथ ही देश में (घरेलू उत्पादन को मिलाकर) दवा की कुल 5,26,752 शीशियां उपलब्ध होंगी।’’

इसने कहा, जून में दवा की 3 लाख से अधिक शीशियों का आयात किया जाएगा। इस तरह, घरेलू उत्पादन को मिलाकर देश में जून में ‘एंफोटेरिसिन-बी’ की उपलब्धता बढ़कर 5.7 लाख शीशियों तक पहुंच जाएगी। बयान में कहा गया कि ये कंपनियां मिलकर जुलाई से हर महीने ‘एंफोटेरिसिन-बी’ की 1 लाख से ज्यादा शीशियों का उत्पादन शुरू करेंगी।