नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में जद(यू) के साथ दरार बढ़ने पर लोजपा के संस्थापक राम विलास पासवान ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान इस विषय में जो कुछ फैसला लेंगे, उसमें वह उनके साथ मजबूती से खड़े हैं।
केंद्रीय मंत्री ने सिलसिलेवार ट्वीट में इस बात का भी खुलासा किया कि वह एक बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती हैं और उनका उपचार चल रहा है। हालांकि, उन्होंने अपनी बीमारी के बारे में नहीं बताया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘कोरोना वायरस संकट के समय खाद्य मंत्री के रूप में निरंतर अपनी सेवा देश को दी और हर सम्भव प्रयास किया कि सभी जगह खाद्य सामग्री समय पर पहुंच सके। इसी दौरान तबियत ख़राब होने लगी, लेकिन काम में कोई ढिलाई ना हो, इस वजह से अस्पताल नहीं गया।’’
लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के वरिष्ठ नेता पासवान ने कहा कि चिराग के कहने पर वह अस्पताल गये और अस्पताल शुरू कराया।
उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे ख़ुशी है कि इस समय मेरा बेटा चिराग मेरे साथ है और मेरी हर सम्भव सेवा कर रहा है। मेरा ख़याल रखने के साथ साथ पार्टी के प्रति भी अपनी ज़िम्मेदारियों को बखूबी निभा रहा है। ’’
राजनीतिक रूप से एक महत्वपूर्ण बयान में उन्होंने यह भी संकेत दिया कि वह बिहार विधानसभा चुनाव के लिये गठबंधन और सीटों की साझेदारी पर चिराग के फैसले के साथ मजबूती से खड़े रहेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि अपनी युवा सोच से चिराग पार्टी व बिहार को नयी ऊँचाइयों तक ले जाएंगे। चिराग के हर फ़ैसले के साथ मैं मज़बूती से खड़ा हूं। मुझे आशा है कि मैं पूर्ण स्वस्थ होकर जल्द ही अपनों के बीच आऊँगा।’’
गौरतलब है कि लोजपा ने पासवान को इस बारे में फैसला लेने के लिये अधिकृत किया था कि क्या पार्टी विधानसभा चुनाव में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीत जनता दल (यूनाइटेड) के खिलाफ चुनाव लड़ेगी।
दरअसल, लोजपा ने 143 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की सूची तैयार करने का भी फैसला किया है।
इस साल मार्च की शुरूआत में चिराग ने नीतीश नीत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए ‘बिहार पहले, बिहारी पहले’ अभियान शुरू किया था।
इसके बाद के महीनों में दोनों पार्टियों के बीच संबंधों में उस वक्त और खटास बढ़ गई, जब लोजपा प्रमुख ने कोविड-19 से निपटने के नीतीश सरकार के तरीके, लॉकडाउन के कारण पैदा हुए प्रवासी संकट और अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव समय पर कराये जाने के लिये जोर देने को लेकर राज्य की जद(यू) सरकार की आलोचना की।
दलित नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के साथ हाथ मिलाने के नीतीश के फैसले ने दोनों दलों के बीच संबंधों को और अधिक तल्ख कर दिया। उल्लेखनीय है कि लोजपा की आलोचना करने का मांझी का इतिहास रहा है।
चिराग ने एक ओर जहां नीतीश पर निशाना साधा, वहीं दूसरी ओर गठबंधन के साझेदार दल भाजपा पर हमला बोलने से बचने के लिये पूरी सावधानी बरती तथा उस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना भी की।