
मैं आपको यह दूसरा पत्र इस आपदा के दुष्प्रभाव से हमारे बच्चों को बचाने हेतु त्वरित कदम उठाने के निवेदन के साथ लिख रहा हूं। पिछले शनिवार को हुई 12 वर्ष की एक बच्ची जाम्लो मकदम की मृत्यु के समाचार से मैं बहुत उद्वेलित हूं। तेलंगाना में मिर्ची के खेत में बाल मजदूरी करने वाली वह बच्ची 150 किलोमीटर पैदल चल कर छत्तीसगढ़ में अपने घर लौट रही थी। डॉक्टरों के अनुसार वह शरीर में भोजन-पानी की कमी के कारण मरी।
मेरे पास देश के कई हिस्सों से इस बात की सूचनाएं हैं कि लॉकडाउन में छोटी-छोटी फैक्टरियों और कारखानों के बंद हो जाने से हजारों बाल मजदूर वहीं फंस कर रह गए हैं। पहले भी उन्हें पूरी मजदूरी नहीं दी जाती थी, अब उनके खाने तक के लाले पड़ गए हैं। मालिक लोग भाग कर अपने घरों में सुरक्षित जाकर बैठ गए हैं। जयपुर, हैदराबाद, मुम्बई और दिल्ली आदि स्थानों पर फंसे हुए ये बच्चे ट्रैफिकिंग के जरिये अलग-अलग राज्यों से ले जाए गए थे। लॉकडाउन के अनुशासन का पालन करने वाले हमारे कार्यकर्ता भी अब उनकी मदद के लिए नहीं पहुंच पा रहे हैं।
आपको स्मरण होगा कि पिछले सालों में मैंने आपसे कई बार व्यक्तिगत रूप से मिलकर मांग की थी कि बाल मजदूरी के कानून को सख्त बनाया जाए। मैं आपकी सरकार और संसद का आभारी हूं कि आज हमारे देश में एक अच्छा कानून है। परन्तु आज और अभी उन बच्चों का जीवन बचाना सबसे ज्यादा जरूरी है। मैं इन बेहद असमान्य और कठिन परिस्थितियों को देखते हुए अत्यन्त दुखी मन से एक अलग आग्रह कर रहा हूं कि :
एक विशेष अधिसूचना जारी करके सभी नियोजकों को अगले तीन महीने के लिए यह छूट दे दी जाए कि यदि वे संबंधित अधिकारियों को सूचित करके अपने यहां कार्यरत बाल मजदूरों को स्वेच्छा से मुक्त कर देते हैं तो उन पर कोई दण्डात्मक कार्यवाही नहीं की जाएगी।
लॉकडाउन खुलने के बाद बच्चों को उनके घरों में सुरक्षित पहुंचाने और उस दौरान उनकी सुरक्षा, भोजन और चिकित्सा का प्रबन्ध सरकार करे। आवश्यकता हो तो स्थानीय सामाजिक संगठनों की मदद ली जा सकती है।
इस बात का बहुत अंदेशा है कि लॉकडाउन खुलने के बाद बच्चों की ट्रैफिकिंग की घटनाएं बढ़ेगीं। इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए सम्बंधित मंत्रालयों की एक टास्क फोर्स बनाई जाये, जो एक ठोस कार्ययोजना बनाकर उसे लागू कराये।
इसके अतिरिक्त आपकी सरकार को जो भी कार्यवाही उचित लगे, कृपया अविलंब करवाएं। मैं और मेरा संगठन जहां-जहां प्रशासन को जरूरत होगी, वहां पर ऐसे बच्चों को रखने और भोजन आदि का प्रबंध करने के लिए तत्पर रहेंगे।