नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने एक व्यक्ति की अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी मामले में दलीलें देने के बाद यदि वकील मुकदमा हार जाता है तो इसे उसकी ओर से सेवाओं में कमी नहीं कहा जा सकता।
न्यायालय ने कहा कि प्रत्येक ऐसा मामला, जिसमें वादी गुणदोष के आधार पर हारा हो और जिसमें वकील की ओर से कोई लापरवाही नहीं बरती गई हो, अधिवक्ता की ओर से सेवाओं में कमी नहीं कहा जाएगा।
शीर्ष अदालत एक व्यक्ति की अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उसने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के एक आदेश को चुनौती दी थी। आयोग ने उसकी याचिका खारिज कर दी थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसके एक मामले को लड़ने वाले तीन वकीलों की सेवाओं में कमी रही है।
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्न की पीठ ने कहा, ‘‘अधिवक्ता द्वारा केस लड़ने के बाद गुणदोष के आधार पर मामला हारने पर यह नहीं कहा जा सकता कि इसमें अधिवक्ता की ओर से सेवा में कमी रही है।
न्यायालन ने आठ नवंबर के आदेश में कहा कि जिला उपभोक्ता फोरम, राज्य आयोग और राष्ट्रीय आयोग ने तीन अधिवक्ताओं के खिलाफ याचिकाकर्ता की शिकायत खारिज करके सही किया।