संसद के नियमों में हुआ बड़ा बदलाव, घुसपैठ के बाद सुरक्षा सख्त


भारत में संसद भवन में जाकर लोकसभा की कार्रवाही देखने का आम लोगों को भी अधिकार दिया गया है, लेकिन इसके लिए कुछ सुरक्षा नियमों का पालन करना जरूरी है क्योंकि संसद को सार्वजनिक स्थल की तरह नहीं रखा जा सकता है।


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भारत की संसद की लोकसभा में बुधवार को शून्यकाल के दौरान दो लोगों के सदन में सांसदों के बीच कूदने की घटना को गंभीरता से लिया जा रहा है। यह घटना उस दिन हुई है जब 22 साल पहले संसद पर हुए आतंकी हमले में मरे लोगों की बरसी मनाई जा रही थी। शुरू में लगा था कि यह एक आतंकी हमला है, लेकिन सरकार का कहना है कि अभी तक की जांच से यह आतंकी हमला नहीं लगता है। फिर भी इसे एक बड़ी सुरक्षा चूक माना जा रहा है। पर आखिर संसद में दर्शक दीर्घा में जाने वाले लोगों के लिए किस तरह के नियम और प्रक्रियाएं हैं और इनमें क्या बदलाव आया है। यह समझना भी जरूरी है।

भारत में संसद भवन में जाकर लोकसभा की कार्रवाही देखने का आम लोगों को भी अधिकार दिया गया है, लेकिन इसके लिए कुछ सुरक्षा नियमों का पालन करना जरूरी है क्योंकि संसद को सार्वजनिक स्थल की तरह नहीं रखा जा सकता है। इस पर हमला देश पर हमला माना जाता है। इसलिए संसद की कार्यवाही को देखने को इच्छुक किसी भी व्यक्ति को बहु स्तरीय सुरक्षा प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।

हर व्यक्ति को संसद के अंदर सुरक्षा के नियमों का पालन करना होता है और इसके लिए जरूरी जांच प्रक्रिया में हर तरह का सहयोग भी देना होगा। संसद में घुसने से पहले दर्शक और उसके साथ के सामान की पूरी तरह से तलाशी ली जाती है और ऐसा कम से कम तीन बार होता है। पहले बाहरी गेट से संसद भवन के गेट पर, फिर भवन के अंदर प्रवेश से पहले और फिर दर्शक दीर्धा में जाने से पहले गहन तलाशी होती है।

दर्शक को कई बार मेटल डिटेक्टर्स से गुजरना होता है लेकिन साथ ही आधुनिक गैजेट, रोडियो फ्रीक्वेंसी वाले उपकरणों से भी जांच होती है। लेकिन इतना ही काफी नहीं होता है दर्शक को पहले एक पास के लिए आवेदन देना होता है और यह पास जारी करवाना भी आसान कार्य नहीं है, बल्कि इसके लिए भी एक कड़ी प्रक्रिया है।

क्या हुए हैं बड़े बदलाव

हमले के बाद संसद सचिवालय के फैसले अनुसार सबसे बड़ा बदलाव प्रवेश के नियमों को लेकर है। अब सांसदों, स्टाफ और प्रेस के लोगों के लिए प्रवेश अलग होगा। जबकि दर्शक केवल चौथे द्वार से ही अंदर जा सकेंगे। अब संसद में दर्शक दीर्घा में अगले आदेश तक प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। वहीं संसद में प्रवेश के लिए बनने वाले पास के बनने पर अस्थायी रोक लगा दी गई है। और फिलहला दर्शकों का प्रवेश भी रोक दिया गया है।

एक और बड़ा बदलाव यह देखने में आया है कि अब दर्शक दीर्घा के ग्लास लगाया जाएगा जिससे कोई भी लोकसभा के चेम्बर में कूद ना सके। वहीं अधिकारी पूरे शरीर की जांच के लिए फुल बॉडी स्कैन मशीन स्थापित करेंगे और संसद में सुरक्षा कर्मियों की संख्या में भी खासा इजाफा किया जा रहा है।

संसद परिसर में प्रवेश के पास के लिए आवेदन केवल सांसद दे सकता है। आवेदन करने वाले सभी सांसदों को एक स्वीकृति देनी होती है कि वे दर्शक को व्यक्तिगत तौर पर जानते हैं और उसकी पूरी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं। लोकसभा की नियम पुस्तिका के मुताबिक सांसदों द्वारा दिए गए आवेदन में दर्शक की पूरी जानकारी देनी होती है।