नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर द्वारा पत्रकार प्रिया रमानी पर किए गए मानहानि केस की सुनवाई अब अपने अंतिम चरण में है। शनिवार को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में प्रिया रमानी के वकील रबेका जॉन ने रमानी का पक्ष रखते हुए कहा कि, “भारत में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की यात्रा, और #ME TOO आंदोलन की यात्रा ने जो दिखाया है वह भारतीय महिलाओं के विश्वास को बढ़ाएगा।”
पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर पर पत्रकार प्रिया रमानी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था और एमजे अकबर को मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। मीडिया में काफी छीछलेदार होने के बाद एमजे अकबर ने रमानी पर मानहानि का मुकदमा कर दिया। आज इस मानहानि के मामले में प्रिया रमानी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन अपनी अंतिम बहस कर रहे थे।
उन्होंने कहा #MeToo आंदोलन ने दुनिया भर की हजारों महिलाओं को आगे आने और यौन उत्पीड़न की अपनी कहानियों को साझा करने के लिए एक मंच दिया। जॉन ने आगे कहा ‘यह मेरी अंतिम प्रस्तुति है अभिव्यक्ति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक लोकतांत्रिक समाज के लिए बहुत जरुरी है। रमानी ने दिखाया है कि कैसे अपने बयान के साथ खड़ा रहा जाता है’ अदालत अगले 13 अक्टूबर को पूर्व मंत्री एवं पत्रकार एमजे अकबर की तरफ से वरिष्ठ वकील गीता लूथरा पक्ष रखेंगी। वह रबेका जॉन के बयान पर बहस करेंगी।
‘मी टू’ अभियान जिसकी शुरुआत अक्तूबर, 2017 में हॉलीवुड के बड़े निर्माताओं में शामिल हार्वी वाइनस्टीन पर कई महिलाओं द्वारा यौन उत्पीड़न और बलात्कार के आरोप लगाए जाने के बाद हुई थी, और जब यह आंदोलन भारत में पंहुचा तो इसके माध्यम से कई जानी-मानी महिलाएं अपने उत्पीड़न को तेज़ी से सोशल मीडिया पर शेयर की और अपने साथ हुए उत्पीड़न पर खुल कर आवाज उठायी। यह अभियान भारत में इतनी तेज़ी से फैला कि नेता से लेकर अभिनेता तक कोई भी वर्ग ऐसा नहीं है जो इसके दायरे में नहीं आया हो।
उस दौरान मोदी सरकार में विदेश राज्य मंत्री के पद पर रहे एमजे अकबर के ऊपर भी कई महिला पत्रकारों ने आरोप लगाए। यह सभी आरोप तब के थे, जब एमजे अकबर कई प्रमुख अखबारों के संपादक के रूप में कार्य कर रहे थे। एमजे अकबर राजनीति में आने से पहले कई बड़े अंग्रेजी अखबारों के संपादक रह चुके हैं।
यह सभी आरोप पत्रकार प्रिया रामानी के एक लेख के बाद सामने आने शुरू हुए थे। इस लेख में प्रिया रमानी ने बिना नाम लिए एमजे अकबर के साथ अपने बुरे अनुभव को साझा किया था। रमानी ने अपने लेख में कहा था कि 2018 में एमजे अकबर ने उन्हें मुंबई के एक होटल में किसी इंटरव्यू के संबंध में बुलाया था जहां उन्होंने कुछ असहज करने वाली बातें कही थीं।
20 साल पुरानी यह घटना तब की है जब रमानी 23 वर्ष की थी और एमजे अकबर 43 वर्ष के थे। उस समय वे संपादक थे और रमानी नौकरी के लिए इंटरव्यू देने गयी थी। रमानी के आरोप के बाद अकबर ने 17 अक्टूबर, 2018 को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। अकबर ने अपने ऊपर लग रहे यौन उत्पीड़न के सभी आरोपों से इनकार किया है, जो उसके खिलाफ #MeToo अभियान के दौरान आगे आए थे। और एमजे अकबर ने प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का केस कर दिया था।