ग्लोबल जर्नल द लैंसेट की ताजा रिपोर्ट के अनुसार कोरोना संक्रमण की दृष्टि से देश में 10 राज्यों की स्थिति बेहद नाजुक होने वाली है, जिसमें मध्य प्रदेश और बिहार प्रथम एवं द्वितीय स्थान पर है। इसके बाद तेलंगना, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र,ओडिशा, गुजरात एवं आंध्र प्रदेश का स्थान है। यही नहीं जर्नल में देश के 20 जिलों की भी सूची जारी की है जहां की स्थिति बहुत जल्द नाजुक होने वाली है। इसमें बिहार का दरभंगा, समस्तीपुर, छपरा, शिवहर, वैशाली, सहरसा शामिल है। उसी प्रकार उत्तर प्रदेश का सीतापुर, बलरामपुर का स्थान है। फिर मध्य प्रदेश का झाबुआ जिला बुरी तरह करोना के चपेट में आने वाला है। इस सूची में झारखंड का देवघर जिला भी शामिल है।
झारखंड में खराब आवास, बदतर मेडिकल सुविधाओं से कोरोना के खतरे बढ़ सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार देवघर देश के 20 सबसे अधिक कोरोना प्रभावित जिलों में शामिल होगा। जर्नल ने इसके पीछे के कारण की भी चर्चा की है। मसलन, सामाजिक-आर्थिक हालात, जनसंख्या में आयुवर्ग अनुपात, घर और सफाई, स्वास्थ्य प्रणाली के कमजोर होने को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। चर्चित मेडिकल जर्नल द लैंसेट के मुताबिक कोरोना संक्रमण फैलने के लिहाज से झारखंड देश के सबसे अधिक खतरे वाले राज्यों में से एक है। मध्यप्रदेश, बिहार और तेलंगाना के बाद कोरोना संक्रमण का जोखिम यहां ज्यादा है। यहां कोरोना महामारी के संक्रमण के सामान्य कारणों से इतर खराब आवासीय हालात और बदतर मेडिकल सुविधाओं के कारण स्थिति विकराल होने की पूरी संभावना हैं।
द लैंसेट की रिपोर्ट में देवघर को कोरोना की दृष्टि से देश का 10वां सबसे अधिक खतरे वाला जिला करार दिया गया है। देवघर का कुल सूचकांक 0.986 आया है। देश के सबसे अधिक खतरे वाले जिले में बिहार के दरभंगा को रखा गया है, यहां का सूचकांक 1 के करीब है। जर्नल के अनुसार देवघर में भी निवास और स्वच्छता तथा मेडिकल सुविधाओं की कमी के कारण स्थिति नाजुक होगी।
द लैंसेट की ओर से झारखंड के राज्यों का कोरोना संवेदी सूचकांक निकालकर रैंकिंग जारी की गई है। झारखंड के खतरों में आवासीय स्थिति और स्वास्थ्य सुविधाओं का सबसे अधिक योगदान है। इसके लिए सामाजिक-आर्थिक हालात भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि महामारी के फैलने के पारंपरिक कारकों का यहां बहुत ज्यादा योगदान नहीं बताया गया है।
जर्नल का दावा है की झारखंड से संबंधित जो भी तथ्य उन्होंने प्रकाशित किए हैं वह बेहद सटीक अध्ययन पर आधारित है। जर्नल ने झारखंड में एससी-एसटी आबादी, माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा का अनुपात, वाहन, टीवी, फ्रिज का उपयोग नहीं करने वाले लोगों की संख्या के आधार पर अपना अध्ययन प्रस्तुत किया है। रिपोर्ट के मुताबिक 60 पार के लोगों की संख्या, शहरी आबादी और घनत्व के आधार पर आकलन से ज्ञात हुआ है कि झारखंड कई मामलों में बेहतर स्थिति में है, लेकिन कोरोना संक्रमण के मामले में इसकी स्थिति खराब होगी। ज्यादा लोगों वाले आवास, शौचालय कम होने और हाथ साफ करने की सही व्यवस्था नहीं होने को संक्रमण का कारण माना गया। झारखंड इस मामले में नाजुक स्थिति में है।