मोतीलाल वोरा : कार्यकर्ता, नेता और नेतृत्व सब उनके मुरीद थे


वोरा के साथ काम कर चुके लोगों का मानना है कि अगर वह पार्टी के नेताओं और नेतृत्व की पसंद थे तो उसकी एक बड़ी वजह उनका निष्ठावान होने के साथ सबको साथ लेकर चलने और संतुलन बनाए रखने की उनकी कला थी।


भाषा भाषा
देश Updated On :

नई दिल्ली।भारतीय राजनीति में ऐसे विरले होते हैं जो अपनी पार्टी के नेतृत्व के साथ आम कार्यकर्ताओं और नेताओं को भी भाते हों। मोतीलाल वोरा ऐसी ही एक राजनीतिक शख्सियत थे जो न सिर्फ गांधी परिवार के पसंदीदा थे, बल्कि कांग्रेस के आम कार्यकर्ता व नेता भी उनके मुरीद थे।

वोरा का कोरोना वायरस संक्रमण के बाद हुई स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के कारण सोमवार को निधन हो गया। वह 93 साल के थे।वह कांग्रेस एवं उसके नेतृत्व के लिए कितने अहम थे, इसका अंदाजा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की इस टिप्पणी से लगाया जा सकता है कि उन्हें वोरा के मार्गदर्शन की कमी हमेशा महसूस होगी।

सोनिया ने शोक संदेश में कहा, ‘‘मोतीलाल वोरा का जीवन जनसेवा और कांग्रेस की विचारधारा के प्रति बेमिसाल प्रतिबद्धता का जीवंत उदाहरण है। हम उनके मार्गदर्शन और उनकी नि:स्वार्थ सेवा की कमी हमेशा महसूस करेंगे।’’

वोरा के साथ काम कर चुके लोगों का मानना है कि अगर वह पार्टी के नेताओं और नेतृत्व की पसंद थे तो उसकी एक बड़ी वजह उनका निष्ठावान होने के साथ सबको साथ लेकर चलने और संतुलन बनाए रखने की उनकी कला थी।

कांग्रेस के पूर्व संगठन महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘‘मध्य प्रदेश जैसे राज्य में जहां तब अर्जुन सिंह, श्यामाचरण शुक्ल और माधवराव सिंधिया जैसे कददावर नेता थे, मुख्यमंत्री के तौर पर सबका प्रिय होना वोरा जी के लिए कोई आसान काम नहीं था। मुख्यमंत्री के लिए उनके नाम का प्रस्ताव अर्जुन सिंह ने किया था, लेकिन बाद के दिनों में राज्य के लोग कहते थे वहां ‘मोती-माधव’ एक्सप्रेस चल रही है।’’

राजनीति में पांच दशक तक सक्रिय भूमिका निभाने वाले वोरा का जन्म 20 दिसंबर, 1927 को राजस्थान के नागौर में हुआ था। उनकी पढ़ाई-लिखाई रायपुर और कोलकाता में हुई। परिवार में उनकी चार पुत्रियां और दो पुत्र हैं। उनके एक पुत्र अरुण वोरा दुर्ग से कांग्रेस विधायक हैं।

कई वर्षों तक पत्रकारिता करने के बाद उन्होंने 1960 के दशक में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से राजनीति में कदम रखा, हालांकि कुछ वर्षों के बाद वह कांग्रेस का हिस्सा बन गए और फिर करीब 50 साल तक पार्टी के संगठन और विभिन्न सरकारों में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन किया।



Related