मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विधि आयोग को भेजी UCC पर राय


ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विधि आयोग को भेजे अपने जवाब में कहा, ‘ UCC के इतने बड़े मसले पर सुझावों की शर्तें गायब हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि इतना बड़ा मुद्दा सिर्फ जनमत संग्रह कराने के लिए इसे सार्वजनिक डोमेन में जारी किया गया है।’


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नई दिल्ली। समान नागिरक संहिता (UCC) को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने विधि आयोग की तरफ से जारी 14 जून के नोटिस पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। विधि आयोग ने इस नोटिस में यूसीसी पर सभी पक्षों से विचार और सुझाव मांगे गए थे, जिस पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जवाब देते हुए कहा कि इतने अहम मुद्दे पर नोटिस में कही गई बातें अस्पष्ट और बहुत सामान्य हैं।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विधि आयोग को भेजे अपने जवाब में कहा, ‘ UCC के इतने बड़े मसले पर सुझावों की शर्तें गायब हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि इतना बड़ा मुद्दा सिर्फ जनमत संग्रह कराने के लिए इसे सार्वजनिक डोमेन में जारी किया गया है।’

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हमेशा से यूसीसी के खिलाफ रहा है। संगठन का कहना है कि भारत जैसे बहु सांस्कृतिक एवं बहुधार्मिक देश में यूसीसी के नाम पर एक ही कानून थोपा जाना लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। AIMPLB के प्रवक्ता कासिम रसूल इलियास ने बताया कि बोर्ड का कहना है कि यूसीसी के दायरे से सिर्फ आदिवासियों ही नहीं बल्कि हर धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग को भी अलग रखा जाना चाहिए।

इलियास ने बताया कि बोर्ड की कार्यसमिति ने 27 जून को यूसीसी को लेकर तैयार किए गए प्रतिवेदन के मसौदे को मंजूरी दी थी, जिसे आज ऑनलाइन माध्यम से हुई बोर्ड की बैठक में विचार के लिए पेश किया गया। उन्होंने बताया कि बैठक में इस प्रतिवेदन को सर्वसम्मति से पास किया गया, जिसके बाद इसे विधि आयोग को भेज दिया गया है।

गौरतलब है कि विधि आयोग ने यूसीसी पर विभिन्न पक्षकारों और हितधारकों को अपनी आपत्तियां दाखिल करने के लिए 14 जुलाई तक का वक्त दिया है। हालांकि बोर्ड ने इसे छह महीने तक बढ़ाने की गुजारिश की थी।

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम में यूसीसी की पुरजोर वकालत की थी, जिसके बाद से देशभर में यूसीसी को लेकर सरगर्मी तेज हो गई थी