राष्ट्रीय अवसंरचना और विकास वित्त-पोषण बैंक विधेयक को संसद में मिली मंजूरी


राज्यसभा ने ‘अवसंरचना एवं विकास के वित्त-पोषण के लिए राष्ट्रीय अवसंरचना और विकास वित्त-पोषण बैंक विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी।


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नई दिल्ली। राज्यसभा ने बृहस्पतिवार को ‘अवसंरचना एवं विकास के वित्त-पोषण के लिए राष्ट्रीय अवसंरचना और विकास वित्त-पोषण बैंक विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी। इसके तहत देश में विकास वित्त संस्थान के गठन का प्रस्ताव किया गया है ताकि आधारभूत ढांचे के विकास से जुड़ी परियोजनाओं के लिए दीर्घकालिक ऋण देने वाले वित्तीय संस्थान की कमी को दूर किया जा सके।

विधेयक पर उच्च सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैंक की ऑडिट रिपोर्ट हर साल संसद के दोनों सदनों में पेश की जाएगी और संस्थान पर संसद की निगरानी रहेगी।

चर्चा में कई दलों के सदस्यों ने आशंका व्यक्त की थी कि प्रस्तावित निकाय संसदीय निगरानी से दूर होगी। कई सदस्यों ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की।

वित्त मंत्री ने कहा कि विधेयक में यह प्रावधान है कि संस्थान अपना लेखाजोखा और अंकेक्षण रिपोर्ट केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को भेजेगा। उन्होंने कहा कि विधेयक के प्रावधानों के अनुसार बैंक संसद के प्रति उत्तरदायी होगा।

उन्होंने कहा कि विकास और वित्तीय लक्ष्यों को ध्यान में रखकर विकास वित्त संस्थान का गठन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके साथ देश में एक संस्थान और संस्थागत व्यवस्था होगी, जिससे दीर्घावधि के लिए पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि ऐसा संस्थान समय की मांग है और अगले 25 साल के दौरान विकास के लिए देश की जरूरतों को ध्यान में रख कर इसका गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि इस दौरान पुराने संस्थानों के अनुभवों पर भी विचार किया गया।

उन्होंने कहा कि प्रस्तावित निकाय का संचालन पेशेवरों द्वारा किया जाएगा और सरकार सिर्फ अध्यक्ष की नियुक्ति करेगी। शेष नियुक्तियां बैंक बोर्ड ब्यूरो (बीबीबी) द्वारा की जाएंगी।

वित्त मंत्री ने कहा कि विधेयक में निजी संस्थानों को आगे आने के लिए प्रोत्साहित करने पर जोर दिया गया है और इस संस्था के लिए 10 वर्षों के कर अवकाश का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा, “हमने 10 लाख करोड़ रुपये की अधिकृत पूंजी उपलब्ध कराई है। 20,000 करोड़ रुपये इक्विटी के रूप में और 5,000 करोड़ रुपये अनुदान के रूप में दिए गए हैं।”

उन्होंने कहा कि 2019 के बजट में अगले पांच वर्षों में बुनियादी ढांचे के लिए 100 लाख करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की गयी थी। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ सड़कें और पुल बनाने के लिए नहीं है, बल्कि अस्पतालों और स्कूलों जैसे सामाजिक बुनियादी ढांचे के लिए भी है।

विकास वित्त के अत्यधिक जोखिम भरा होने का जिक्र करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि ऐसा नहीं है कि हम प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) या संप्रभु कोष पर निर्भर हैं तथा यह इक्विटी और ऋण निवेश दोनों के लिए विश्वसनीय ढांचा स्थापित करेगा। उन्होंने कहा कि यह घरेलू और वैश्विक दोनों संस्थागत निवेशकों की ओर से निवेश को आकर्षित करेगा तथा हम सिर्फ एफडीआई पर निर्भर नहीं हैं।

प्रस्तावित निकाय के स्वामित्व के संदर्भ में उन्होंने कहा कि सरकार की हिस्सेदारी 100 प्रतिशत से शुरू होगी, लेकिन बाद में इसे 26 प्रतिशत तक लाया जाएगा। लेकिन, सरकार की हमेशा 26 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी।

उन्होंने जोर दिया कि विधेयक में सभी सुरक्षा उपाय किए गए हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि इसके माध्यम से देश में आधारभूत ढांचे के विकास में मदद मिलेगी। उन्होंने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के प्रस्तावित आईपीओ का जिक्र करते हुए कहा कि इसका अर्थ निजीकरण नहीं है बल्कि आम नागरिक उसमें निवेश कर सकेंगे।

वित्त मंत्री के उत्तर के बाद सदन ने ध्वनिमत से राष्ट्रीय अवसंरचना और विकास वित्त-पोषण बैंक विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी। लोकसभा में यह पहले ही पारित हो चुका है। वित्त मंत्री सीतारमण ने इस बार के बजट भाषण में इस प्रकार के विकास वित्तीय संस्थान की स्थापना की घोषणा की थी। इस संस्थान द्वारा निवेशकों से धन जुटाने के संबंध में कर छूट प्रदान करने का प्रावधान भी प्रस्तावित है।



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