नई दिल्ली। देश के प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि न्याय हासिल करने से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए संस्थागत सुधारों के साथ तकनीक का दायरा बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि मुकदमेबाजी प्रक्रिया को सरल बनाना और इसे ‘‘नागरिक केंद्रित’’ बनाना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका अदालतों के कामकाज में सुधार के लिए तकनीक को अपना रही है। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि न्याय हासिल करने के वास्ते अदालतों तक पहुंचने के बजाय नागरिकों तक पहुंचने के लिए अदालतों को फिर से तैयार किया गया है।
उच्चतम न्यायालय में ‘संविधान दिवस’ समारोह को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि देशभर के न्यायाधीशों को न्याय, समानता और स्वतंत्रता हासिल करने के संवैधानिक दृष्टिकोण पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि कानूनी पेशे और न्यायपालिका में हाशिए पर रहने वाले समुदायों और महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जाए।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई पहलों ‘वर्चुअल जस्टिस क्लॉक’, ‘जस्टआईएस’ मोबाइल ऐप 2.0, डिजिटल कोर्ट और ‘एस3डब्ल्यूएएस’ वेबसाइट के बारे में भी बात की।
उन्होंने कहा कि भारत जैसे विशाल और विविधता वाले देश में एक संस्था के रूप में न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि न्याय वितरण प्रणाली सभी के लिए सुलभ हो।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह सुनिश्चित करने के लिए कि अदालत लोगों तक पहुंचें, यह आवश्यक है कि मुकदमेबाजी की प्रक्रिया को सरल और नागरिक केंद्रित बनाया जाए।’’
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि हालांकि कोविड-19 महामारी के दौरान न्यायपालिका का तकनीक के साथ जुड़ाव व्यापक हो गया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह करूंगा कि जिस तकनीकी बुनियादी ढांचे पर सार्वजनिक धन खर्च किया गया है, उसे नष्ट नहीं किया जाए, बल्कि इसे और मजबूत किया जाए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब तकनीक ने महामारी के दौरान न्यायपालिका की कार्यक्षमता सुनिश्चित करने में हमारी सहायता की है, न्याय हासिल करने के मुख्य मुद्दे को हल करने के लिए तकनीक को संस्थागत सुधारों के साथ आगे बढ़ाया जाना चाहिए।’’
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायिक प्रणाली के साथ लोगों का पहला संपर्क जिला न्यायपालिका है और यह सबसे महत्वपूर्ण है कि इसे मजबूत बनाया जाये।
प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई ई-पहलों का विवरण देते हुए, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि ये पहल न्याय हासिल करने के लिए न्यायपालिका की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा प्रयास न्याय तक पहुंच बढ़ाने का है।’’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि उच्चतम न्यायाल अब ‘हाइब्रिड मोड’ में काम करता है जिससे वकील और पक्षकार देश के विभिन्न हिस्सों से व्यक्तिगत रूप से पेश होने में समर्थ होते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि उच्चतम न्यायालय तिलक मार्ग पर स्थित है लेकिन उच्चतम न्यायालय पूरे देश के लिए उच्चतम न्यायालय है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपने कार्यों और निर्णयों पर आत्मनिरीक्षण करने और अपने स्वयं के पूर्वाग्रहों और पूर्व धारणाओं पर सवाल उठाने की आवश्यकता है।’’
उन्होंने कहा कि कोई संस्था समय के साथ तभी फलती-फूलती है जब वह लोकतांत्रिक तरीके से काम करती है। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि प्रधान न्यायाधीश के रूप में शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों, उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, जिला न्यायपालिका के सदस्यों और संस्था से जुड़े सभी हितधारकों के साथ सहयोग और परामर्श करना उनकी जिम्मेदारी है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण है कि हम न्यायपालिका का हिस्सा रहे लोगों के अनुभव का फायदा उठायें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए यह और भी महत्वपूर्ण है कि कानूनी पेशे और न्यायपालिका में हाशिए पर रहने वाले समुदायों और महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जाए।’’
प्रधान न्यायाधीश ने युवाओं से अपील की कि वे भारत की सामाजिक वास्तविकताओं पर चिंतन करें और हर संभव तरीके से न्याय के लिए खुद को समर्पित करके बंधुत्व प्राप्त करने की दिशा में काम करें।