नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले कचरे के संबंध में हरियाणा सरकार पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की प्रधान पीठ ने हाल के एक आदेश में कहा कि 7 दिसंबर, 2020 को मुख्यमंत्री द्वारा आयोजित एक बैठक और एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की नियुक्ति का कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है। वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की स्थापना के लिए 10 एकड़ जमीन सौंपने में एक साल का समय लगा।
इस मुद्दे में मूल याचिका में कहा गया है कि गुरुग्राम में बांधवारी लैंडफिल साइट पर सालों से लगभग 33 लाख मीट्रिक टन ठोस कचरा डाला जा रहा है। याचिका के अनुसार कचरे को जलाया जा रहा है जिससे वायु प्रदूषण हो रहा है। जिसमें न केवल निवासियों को प्रभावित करने की क्षमता है, बल्कि असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य में पक्षियों की 193 प्रजातियां, बड़ी संख्या में औषधीय पौधे और 80 से अधिक प्रजातियां हैं। तितलियों की प्रजातियां, काला हिरन, गोल्डर सियार और तेंदुआ। जिन्हें भी नुकसान पहुंच रहा है।
अपशिष्ट निपटान की ओर इशारा करते हुए आदेश में कहा गया है- 2,20,082 टन आरडीएफ में से केवल 76,226 टन ही उठाया गया। 1,43,856 टन का अभी भी कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है। नीमच में सीमेंट संयंत्रों या मुरथल, सोनीपत में बिजली संयंत्र के साथ आरडीएफ के उपयोग के लिए कोई परिचालन समझौता नहीं है
ट्रिब्यूनल ने एचएसपीसीबी के अध्यक्ष की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय समिति का भी गठन किया, और स्थिति का जायजा लेने और आगे की कार्रवाई की योजना बनाने के लिए गुरुग्राम और फरीदाबाद प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल किया। ट्रिब्यूनल ने आदेश में कहा कि बांधवाड़ी स्थल की दस एकड़ भूमि जो पहले ही साफ हो चुकी है, उसका उपयोग कचरा निपटान के प्रबंधन के लिए अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं की स्थापना के लिए किया जा सकता है।