एनजीटी ने दी चेतावनी- तेलंगाना की ऐतिहासिक झील में कोई सुधार नहीं, क्यों न की जाए कार्रवाई

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नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने कहा कि उसके आदेश के दो साल बाद भी तेलंगाना की ऐतिहासिक बुम-रुक्न-उद-दौला झील की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। इसको लेकर अधिकरण ने शहरी विकास सचिव और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के सदस्य को निर्देश दिया है कि वे कारण बताएं कि उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की जाए।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने आदेश के अनुपालन का अंतिम अवसर दिया और अधिकारियों को सुनवाई की अगली तारीख पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया।

पीठ ने कहा, “संबंधित विभागों, यानी स्थानीय निकाय/शहरी विकास/स्थानीय स्वशासन विभाग के सचिव और सदस्य सचिव, राज्य पीसीबी को अगली तारीख पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने की आवश्यकता है ताकि राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 (एनजीटी अधिनियम) की धारा 25 और 26 के तहत निर्धारित दंडात्मक कार्रवाई के कारण बताया जा सके।

पीठ ने कहा, “एनजीटी अधिनियम की धारा 26 के तहत, इस अधिकरण के आदेश का उल्लंघन एक आपराधिक कृत्य है जिसके लिए तीन साल तक की कैद और 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना है। एनजीटी अधिनियम, 2010 की धारा 25 के तहत, इसका आदेश सिविल अदालत के फैसले के समानर निष्पादन योग्य होता है।

मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर 2021 को सूचीबद्ध की गई है। अधिकरण कार्यकर्ता लुबना सरवथ की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें शिवरामपल्ली, हैदराबाद के राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के सामने, लगभग 104 एकड़ की ऐतिहासिक जलाशय बुम-रुक्न-उद-दौला के पुनरोद्धार का निवेदन किया गया है।