नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने योगगुरू रामदेव को एलोपैथी के खिलाफ कथित रूप से गलत जानकारी फैलाने के मामले में कई चिकित्सक संगठनों द्वारा दाखिल मुकदमे में बुधवार को समन जारी किया।
न्यायमूर्ति सी हरिशंकर ने रामदेव को वाद पर जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह रामदेव के खिलाफ वाद में आरोपों के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे और किसी प्रकार की राहत देने के बारे में बाद में विचार किया जाएगा।
न्यायमूर्ति हरिशंकर ने रामदेव के वकील राजीव नायर से कहा, ‘‘मैंने वीडियो क्लिप (रामदेव के) देखे हैं। वीडियो क्लिप देखकर लगता है कि आपके मुवक्किल एलोपैथी उपचार प्रोटोकॉल पर उपहास कर रहे हैं। उन्होंने लोगों को स्टेरॉइड की सलाह देने और अस्पताल जाने वाले लोगों तक का उपहास उड़ाया है। क्लिप देखकर यह निश्चित रूप से वाद दर्ज करने का मामला है।’’
वरिष्ठ अधिवक्ता नायर ने कहा कि उन्हें मामले में समन जारी होने पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उन्होंने आरोपों का विरोध किया।
नायर ने अदालत से अनुरोध किया, ‘‘वाद के तीन हिस्से हैं। कोरोनिल, मानहानि और टीकाकरण के खिलाफ असमंजस। अदालत केवल मानहानि के मामले में ही नोटिस जारी कर सकती है।’’
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं कोई आदेश जारी नहीं कर रहा। आप अपने लिखित बयान दाखिल कीजिए। कहिए कि कोई मामला नहीं बनता।’’
रामदेव के अलावा आचार्य बालकृष्ण और पंतजलि आयुर्वेद को भी मामले में समन जारी कर जवाब देने को कहा गया है। अदालत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म गूगल, फेसबुक और ट्विटर को भी नोटिस जारी किये।