संसद में विरोध प्रदर्शन हंगामे से तिलमिला गए ओम बिड़ला


ओम बिड़ला ने कहा कि संसद एक पवित्र स्थल है। इस भवन की एक उच्च गरिमा, प्रतिष्ठा, मर्यादा है। और इसी भवन में हमने आजादी भी प्राप्त की है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और संसद इस लोकतंत्र की सर्वोच्च संस्था हैं।


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नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र में जोरदार हंगामे और विरोध प्रदर्शन की बयार थम नहीं रही है। आज संसद सत्र शुरू होने से पहले विपक्ष ने पार्लियामेंट परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। इस पर तिलमिलाए लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने पक्ष और विपक्ष को नसीहत देते हुए कहा कि जिस तरह से नारे, पोस्टर, मुखौटों का प्रयोग किया जा रहा है वह न सिर्फ अशोभनीय है, बल्कि हमारी नियम प्रक्रियाओं, संसदीय परंपराओं के अनुरूप भी नहीं हैं।

मौजूदा सेशन में हो रहे रोज रोज के हंगामे पर उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से मैं देख रहा हूं संसद परिसर में जिस प्रकार के प्रदर्शन की जा रहे हैं, जिस प्रकार के मुझे बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है इसमें प्रतिपक्ष के बड़े नेताओं का आचरण-व्यवहार भी संसदीय मर्यादाओं के अनुकूल नहीं है।

ओम बिड़ला ने कहा कि संसद एक पवित्र स्थल है। इस भवन की एक उच्च गरिमा, प्रतिष्ठा, मर्यादा है। और इसी भवन में हमने आजादी भी प्राप्त की है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और संसद इस लोकतंत्र की सर्वोच्च संस्था हैं। संसद में देश की आकांक्षाओं, अपेक्षाओं को पूरा किया जाता है।

उनके भाषण के बीच में भी संसद के अंदर बीच बीच में हंगामा होता रहा। ओम बिड़ला ने कहा कि सहमति, असहमति हमारे लोकतंत्र की परंपरा रही है जो संविधान बनते समय भी हमने अभिव्यक्ति की है। लेकिन मेरा आपसे आग्रह है कि हमें गरिमा रखनी चाहिए।

लोकसभा स्पीकर ने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन साफ साफ कहा कि चाहे सत्ता पक्ष हो, चाहे प्रतिपक्ष हो, सभी दल के लोग संसद की गरिमा, परंपरा, मर्यादा, प्रतिष्ठा को बनाए रखें। हम मर्यादित गरिमा और आचरण रखेंगे तो जनता में ठीक संदेश जाएगा, एक सकारात्मक संदेश जाएगा। इस लोकतंत्र के मंदिर के प्रति लोगों की बहुत आस्था है, विश्वास है। 75 वर्ष में हमने इसी चर्चा, संवाद,सहमति, असहमति, तिखी आलोचना यह सभी इस सदन में हुए हैं। जो यहां की परंपराएं भी रही हैं, उनमें आप सकारात्मक सहयोग करें जो कुछ भी विषय मुद्दे हैं आप आकर चर्चा करें। सत्ता पक्ष से प्रतिपक्ष के लोग आपस में बैठकर चर्चा करें। सदन को चलाने का प्रयास करें।

उन्होंने समझाया कि प्रश्नकाल एक महत्वपूर्ण समय होता है। पूर्व में भी कई बार चर्चा हुई कि प्रश्न काल में हम सदन को चलने देंगे। मुझे आशा है कि आप इस परंपराओं को, परिपाटियों को और इस सदन की पीठ को आप सकारात्मक सहयोग करेंगे और सदन गरिमा से चले यह मेरी अपेक्षा है।

 



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