संसद चर्चा: राज्यसभा में उठी अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन की मांग


राज्यसभा के एक मनोनीत सदस्य ने बृहस्पतिवार को अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन की वर्षों से लंबित मांग का मुद्दा उठाया।


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नई दिल्ली। राज्यसभा के एक मनोनीत सदस्य ने बृहस्पतिवार को अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन की वर्षों से लंबित मांग का मुद्दा उठाया। साथ ही उन्होंने संघ न्यायिक सेवा आयोग और एक न्यायिक कंसोर्टियम बनाए जाने की भी आवश्यकता जताई।

अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन के लिए विधि आयोग की रिपोर्ट ओर उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए मनोनीत सदस्य नरेंद्र जाधव ने शून्यकाल में कहा, ‘‘मैं भारतीय प्रशासनिक सेवा और अन्य संबद्ध सेवाओं की तर्ज पर अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन की मांग करता हूं।’’

उन्होंने कहा कि 1958 में विधि आयोग की 14वीं रिपोर्ट में अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का प्रस्ताव किया गया था।

जाधव ने कहा कि 1991 में उच्चतम न्यायालय ने एक फैसले में अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन की बात कही थी, लेकिन अभी तक यह नहीं हो सका है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि वह अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का गठन करे, एक न्यायिक कंसोर्टियम बनाए जिसमें सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायधीश और वहां के दो वरिष्ठ न्यायधीशों के साथ ही उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश सहित पांच वरिष्ठतम न्यायधीशों को शामिल किया जाए।’’

उन्होंने कहा कि न्यायिक कंसोर्टियम निगरानी करने वाली एक संस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘ संघ न्यायिक सेवा आयोग बनाया जाए जो न्यायिक कंसोर्टियम के निर्देश पर न्यायिक सेवा में परीक्षा, साक्षात्कार और बहाली करे। इसका अध्यक्ष देश का कोई सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश हो।’’

ज्ञात हो कि लंबे समय से देश में अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन की मांग समय-समय पर उठती रही है।