नई दिल्ली। तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ देश में पिछले एक साल से अधिक समय से चल रहे आंदोलन पर हुए कथित हमलों से केंद्र सरकार ने अपना पल्ला झाड़ते हुए स्पष्ट किया कि आंदोलनरत किसानों की सुरक्षा की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है।
राज्यसभा में कांग्रेस के सदस्य के सी वेणुगोपाल की ओर से बुधवार को पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने यह जानकारी दी।
वेणुगोपाल ने जानना चाहा था कि देश में हाल के समय में प्रशासन के साथ-साथ लोगों द्वारा किसानों के आंदोलन पर हमलों में यदि वृद्धि हुई है तो उसका राज्यवार ब्योरा क्या है और विगत एक वर्ष के दौरान विरोध प्रदर्शनों में घायल हुए और मारे गए किसानों की राज्यवार संख्या कितनी है।
उन्होंने सरकार से ‘‘शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन’’ कर रहे किसानों पर हमला करने वाले अधिकारियों और व्यक्तियों की गई कार्रवाई की भी जानकारी मांगी।
उनके सवालों का जवाब देते हुए राय ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने अपनी रिपोर्ट ‘‘भारत में अपराध: 2020’’ में ‘‘चोट’’ के 5,78, 641 मामले रिपोर्ट किए हैं लेकिन इसमें किसानों के आंदोलन पर हमले के कारण उन पर ‘‘चोट’’ के मामले अलग से रिपोर्ट नहीं किए गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार पुलिस और लोक व्यवस्था राज्य के विषय हैं। किसानों की सुरक्षा और संरक्षा समेत कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी प्राथमिक रूप से संबंधित राज्य सरकारों की है।’’
राय ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखने और नागरिकों की सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य और संघ राज्य क्षेत्रों को समय-समय पर दिशानिर्देश जारी किए हैं।
एक अन्य सवाल के जवाब में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी ने बताया कि किसानों के आंदोलन के कारण कुल 60 से 65 राष्ट्रीय राजमार्ग टोल प्लाजा प्रभावित हुए जिसके फलस्वरूप पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में पथकर संग्रहण में 2731.32 करोड़ रुपये की राजस्व हानि हुई।
गड़करी की ओर से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक पंजाब में कुल 1269.42 करोड़ रुपये, हरियाणा में 1319.61 करोड़ रुपये और राजस्थान में 142.29 करोड़ रुपये राजस्व की हानि हुई।