नई दिल्ली। संसद ने अनाज, तिलहनों, खाद्य तेलों, प्याज एवं आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर करने के प्रावधान वाले एक विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी।
राज्यसभा ने इससे संबंधित आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इसे 15 सितंबर को ही पारित कर चुकी है। यह विधेयक कानून बनने के बाद इससे संबंधित अध्यादेश का स्थान लेगा।
इस कानून के नहीं बनने के पहले आलू-प्याज, खाने के तेल और दूसरे अनाज के दामों में बेतहासा बढ़ोत्तरी पर पहले जहां जमाखोरी के खिलाफ सरकार कार्रवाई करती थी, वहीं इस कानून के बन जाने के बाद कोई भी व्यापारी आलू, प्याज, दाल,खाने के तेल और अनाज की मनमाना जमाखोरी कर सकता है।
कालाबाजारी बढ़ने की आशंका
सरकार का तर्क है कि इस विधेयक का मकसद निजी निवेशकों की कुछ आशंकाओं को दूर करना है। व्यापारियों को अपने कारोबारी गतिविधियों में अत्यधिक नियामक हस्तक्षेप को लेकर चिंताएं बनी रहती हैं। अतः इस कानून के बन जाने से ऐसी आशंकाएं दूर होगी, लेकिन विपक्षी दलों का आरोप है कि बड़े-बड़े उद्योगपति किसानों से सस्ते दामों पर अनाज खरीदकर स्टॉक कर लेंगे और फिर बाजार में खाने-पीने के सामानों की किल्लत होने पर उसे महंगे दामों पर जनता को बेचेंगे।
सरकार पहले ही कह चुकी है कि उत्पादन, उत्पादों को जमा करने, आवागमन, वितरण एवं आपूर्ति की स्वतंत्रता से बड़े स्तर पर अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा तथा कृषि क्षेत्र में निजी एवं विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आकर्षित होगा।
विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए उपभोक्ता मामलों तथा खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री रावसाहेब दानवे ने कहा कि कानून के जरिये स्टॉक की सीमा थोपने से कृषि क्षेत्र में निवेश में अड़चनें आ रही हैं।
उन्होंने कहा कि साढ़े छह दशक पुराने इस कानून में स्टॉक रखने की सीमा राष्ट्रीय आपदा तथा सूखे की स्थिति में मूल्यों में भारी वृद्धि जैसे आपात हालात उत्पन्न होने पर ही लागू की जाएगी। विधेयक में प्रसंस्करणकर्ताओं और मूल्यवर्द्धन करने वाले पक्षों को स्टॉक सीमा से छूट दी गयी है।
https://twitter.com/AAPUttarPradesh/status/1307916819555135489
कृषि क्षेत्र में बढ़ेगा निवेश
दानवे ने कहा कि इस कदम से कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा तथा अधिक भंडारण क्षमता सृजित होने से फसलों की कटाई पश्चात होने वाले नुकसान को कम किया जा सकेगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह संशोधन किसानों एवं उपभोक्ताओं दोनों के पक्ष में है।’’
विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि इस विधेयक के कानून बनने के बाद कृषि क्षेत्र में पूंजी निवेश बढ़ेगा तथा कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि इन सब प्रावधानों से किसानों को लाभ मिलेगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने किसानों के हितों और उनकी आय बढ़ाने के लिए कई कदम उठाये हैं। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के प्रावधानों से किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
अन्नाद्रमुक के एस आर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि सरकार जो संशोधन लेकर आयी है उससे आवश्यक वस्तुओं के बढ़ते दामों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।
कोल्ड स्टोरेज के निर्माण को मिलेगा प्रोत्साहन
बीजद के अमर पटनायक ने सरकार ने आवश्यक वस्तु कानून में संशोधन के बावजूद सावर्जनिक वितरण प्रणाली के तहत सरकारी एजेंसियों द्वारा किसानों से उनके उत्पादों की खरीद को जारी रखा गया है। इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर जो आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं, वे निर्मूल साबित हो गयीं।
जद(यू) के रामचंद्र प्रसाद सिंह ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इसके प्रावधान आज के कृषि क्षेत्र की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाये गये। उन्होंने कहा कि इससे भंडारण एवं कोल्ड स्टोरेज के निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा।
तेलुगु देशम पार्टी के रवीन्द्रकुमार ने सरकार को इस मामले में सतर्क रवैया अपनाने की सलाह देते हुए कहा कि इस विधेयक के प्रावधान से कहीं बाजार हावी न हो जाए और ऐसे में किसानों को कम दाम मिलेंगे।
टीएमसी (एम) के जी के वासन ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि आवश्यक वस्तुओं के भंडारण की अनुमति देने से इन वस्तुओं की कालाबाजारी की आशंका उत्पन्न हो सकती है।
क्या है आवश्यक वस्तु संशोधन बिल
उल्लेखनीय है कि पहले व्यापारी फसलों को किसानों के औने-पौने दामों में खरीदकर उसका भंडारण कर लेते थे और कालाबाजारी करते थे, उसको रोकने के लिए Essential Commodity Act 1955 बनाया गया था जिसके तहत व्यापारियों द्वारा कृषि उत्पादों के एक लिमिट से अधिक भंडारण पर रोक लगा दी गई थी।
आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र की सरकार ने बड़े पैमाने पर बदलाव कर दिया है। इस नए कृषि बिल के बाद अब खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा दी गई है। बहुत जरूरी होने पर जैसे कि राष्ट्रीय आपदा, सूखा जैसी अपरिहार्य स्थितियों पर स्टॉक लिमिट लगाई जाएगी। प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी कोई स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी। उत्पादन, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा।
मोदी सरकार 2015 में कोर्ट में कह चुकी है कि वह स्वामीनाथन आयोग के सिफारिसों वाला अनाजों का मूल्य नहीं दे पाएगी
कांग्रेस के पूर्व महासचिव राहुल गांधी ने कहा कि मोदी 2014 में मोदी ने किसानों को स्वामीनाथन कमिशन की सिफारिसों वाला किसानों की फसलों का दाम देंगे, लेकिन 2015 में कोर्ट में कह चुकी है कि वह किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दे पाएगी। राहुल गांधी ने ट्वीट में कहा,
2014- मोदी जी का चुनावी वादा किसानों को स्वामीनाथन कमिशन वाला MSP
2015- मोदी सरकार ने कोर्ट में कहा कि उनसे ये न हो पाएगा
2020- काले किसान क़ानून
मोदी जी की नीयत ‘साफ़’
कृषि-विरोधी नया प्रयास
किसानों को करके जड़ से साफ़
पूँजीपति ‘मित्रों’ का ख़ूब विकास।— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 22, 2020