नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के लिये पीएम केयर्स फंड को प्राप्त धनराशि राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष में अंतरित करने के लिये दायर याचिका पर सोमवार को सुनवाई पूरी कर ली। न्यायालय इस पर अपनी व्यवस्था बाद में देगा।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष केन्द्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पीएम केयर्स फंड एक ‘‘स्वैच्छिक कोष’’ है जबकि राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष और राज्य आपदा मोचन कोष के लिये बजट के माध्यम से धनराशि का आबंटन किया जाता है।
याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन सेन्टर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशंस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि वे किसी की सदाशयता पर संदेह नहीं कर रहे हैं लेकिन पीएम केयर्स फंड का सृजन आपदा प्रबंधन कानून के प्रावधानों के विपरीत है।
दवे ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा ऑडिट किया जाता है लेकिन सरकार ने बताया है कि पीएम केयर्स फंड का निजी ऑडिटर्स से ऑडिट कराया जायेगा। शीर्ष अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा।